शुभांशु शुक्ला सहित चारों अंतरिक्ष यात्री आज शाम 4:30 बजे स्पेस स्टेशन पहुंचेंगे। इससे पहले इस मिशन के क्रू ने स्पेसक्राफ्ट लाइव बातचीत की। अंतरिक्ष से अपने पहले कॉल में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने बुधवार के प्रक्षेपण के अनुभव को याद किया।
By: Arvind Mishra
Jun 26, 2025just now
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
शुभांशु शुक्ला सहित चारों अंतरिक्ष यात्री आज शाम 4:30 बजे स्पेस स्टेशन पहुंचेंगे। इससे पहले इस मिशन के क्रू ने स्पेसक्राफ्ट लाइव बातचीत की। अंतरिक्ष से अपने पहले कॉल में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने बुधवार के प्रक्षेपण के अनुभव को याद किया। उस पल को ताजा करते हुए इस अनुभव को अवर्णनीय बताया। अंतरिक्ष से नमस्कार के साथ अभिवादन करते हुए शुभांशु शुक्ला ने कहा-मुझे शून्य गुरुत्वाकर्षण की आदत हो रही है। मैं अभी भी शून्य गुरुत्वाकर्षण की आदत डाल रहा हूं... जैसे कोई बच्चा चलना सीख रहा हो...यह पता लगा रहा हो कि कैसे आगे बढ़ना है और खुद को संभालना कैसे है। मैं वास्तव में हर पल का आनंद ले रहा हूं। शुभांशु शुक्ला ने पृथ्वी की कक्षा में अपने अनुभव को अवास्तविक और मजेदार बताया। इस दौरान एक सॉफ्ट टॉय स्वान यानी, हंस को हाथ में लेकर उन्होंने कहा- भारतीय संस्कृति में हंस बुद्धिमत्ता का प्रतीक है। गौरतलब है कि भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला समेत चार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर एक्सिओम-4 मिशन बुधवार को नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से सफलता पूर्वक लॉन्च हो गया। यह मिशन चारों अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन लेकर गया है। इस मिशन में भारत के शुभांशु शुक्ला, एन मैक्लेन, निकोल आयर्स और पैगी व्हिटसन शामिल हैं। यह चारों यात्री लो-अर्थ आॅर्बिट में जाएंगे और आईएसएस के हार्मनी मॉड्यूल के स्पेस फेसिंग पोर्ट पर डॉक करेंगे। इसके बाद चारों लोग दो हफ्ते तक आईएसएस पर 14 दिन बिताएंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में 14 दिन करेंगे क्या...।
दरअसल, अंतरिक्ष यात्री अपने मिशन के दौरान 60 प्रयोग करेंगे। शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में भारत-केंद्रित अध्ययन करेंगे। उड़ान से पहले शुक्ला ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि वह अपने देश की एक पूरी पीढ़ी की जिज्ञासा को जगा पाएंगे और नवाचार को बढ़ावा दे पाएंगे। जिसमें डायबिटीज से जुड़ा रिसर्च भी शामिल है। यही नहीं, 14 दिनों के दौरान शुभांशु और उनकी टीम भारतीय सुपरफूड जैसे मूंग और मेथी, अल्गी (स्पाइरुलिना) और सूक्ष्म जीवों पर रिसर्च करेंगे।
ये सभी प्रयोग भारत के वैज्ञानिकों ने तैयार किए हैं। साथ ही, शुक्ला मानव शरीर पर अंतरिक्ष के असर को लेकर भी अध्ययन करेंगे। वे अपने साथ जॉय नाम का एक सफेद हंस जैसा खिलौना भी लेकर गए हैं, जो वहां शून्य गुरुत्व वाले माहौल को दिखाने में मदद करेगा। वह इस मिशन के दौरान छात्रों और लोगों से जुड़ने के लिए बातचीत भी करेंगे।
सायनोबैक्टीरिया: इसरो और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सहयोग से दो प्रकार के सायनोबैक्टीरिया की वृद्धि और व्यवहार का अध्ययन किया जाएगा। इनके प्रकाश संश्लेषण की क्षमता और लचीलापन का विश्लेषण होगा, जो भविष्य में चंद्रमा या मंगल पर जीवन समर्थन प्रणालियों के लिए उपयोगी हो सकता है।
उपचार विधि: यह प्रयोग माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों के नुकसान के कारणों और उपचार विधियों की जांच करेगा। यह मंगल मिशनों के लिए अंतरिक्ष यात्रियों और पृथ्वी पर उम्र से संबंधित मांसपेशी हानि के रोगियों के लिए उपयोगी हो सकता है।
फसलों की खेती: छह प्रकार के बीजों को अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा ताकि उनके विकास का अध्ययन किया जा सके। केरल कृषि विश्वविद्यालय के शोधकर्ता इन बीजों में आनुवंशिक गुणों का विश्लेषण करेंगे, जो भविष्य में अंतरिक्ष में खेती के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
खाद्य पर प्रभाव: यह प्रयोग माइक्रोग्रैविटी और विकिरण के प्रभाव को खाद्य माइक्रोएल्गी पर जांचेगा, जो अंतरिक्ष में खाद्य स्रोत के रूप में महत्वपूर्ण हो सकता है। इस मिशन में इसरो तीन तरह के शैवाल भेज रहा है। शैवाल पानी में पाया जाने वाला माइक्रोआर्गेनिज्म है।
मांसपेशी पुनर्जनन: इंस्टीट्यूट आफ स्टेम सेल साइंस एंड रीजनरेटिव मेडिसिन, भारत द्वारा प्रस्तावित, यह प्रयोग मेटाबोलिक सप्लीमेंट्स के प्रभाव को माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशी पुनर्जनन पर जांचेगा।
अंतरिक्ष में अंकुरण: धारवाड़ के यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चरल साइंसेज और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान धारवाड़ द्वारा प्रस्तावित, इस प्रयोग में मूंग (हरी दाल) और मेथी (फेनुग्रीक) के बीजों को माइक्रोग्रैविटी में अंकुरित किया जाएगा। इनका औषधीय गुणों और अंतरिक्ष यात्रियों के पोषण के लिए महत्व का अध्ययन होगा।