न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सेशन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए पाकिस्तान की जमकर क्लास लगा दी। उन्होंने भारत का रुख दुनिया के सामने रखा। साथ ही आतंकवाद को पोषित करने में पाकिस्तान की भूमिका, पहलगाम हमला और टेरर फंडिंग को लेकर पड़ोसी देश की आलोचना की।
By: Arvind Mishra
Sep 28, 202516 hours ago
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सेशन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए पाकिस्तान की जमकर क्लास लगा दी। उन्होंने भारत का रुख दुनिया के सामने रखा। साथ ही आतंकवाद को पोषित करने में पाकिस्तान की भूमिका, पहलगाम हमला और टेरर फंडिंग को लेकर पड़ोसी देश की आलोचना की। जयशंकर ने बिना नाम लिए कहा कि कुछ देशों के लिए आतंकवाद स्टेट पॉलिसी बन चुका है। इससे पाकिस्तान तिलमिला गया है। अपने उत्तर देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने भारत पर आतंकवाद के बारे में दुर्भावनापूर्ण आरोपों के साथ पाकिस्तान को बदनाम करने की कोशिश का आरोप लगाया। भले ही जयशंकर ने अपने संबोधन में उस देश का नाम नहीं लिया था। भारत ने कहा कि यह बताता है कि एक पड़ोसी, जिसका नाम तक नहीं लिया गया था, ने फिर भी जवाब देने और सीमा पार आतंकवाद को लेकर अपनी लंबे वक्त से चली आ रही गतिविधि को स्वीकार करने का विकल्प चुना। दरअसल, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उन्होंने आपरेशन सिंदूर का जिक्र कर पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार किया और उसे वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बताया। यूएनजीए में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने संबोधन की शुरुआत भारत की जनता की ओर से नमस्कार कहकर की। उन्होंने कहा कि भारत ने आजादी के बाद से ही आतंकवाद की चुनौती का सामना किया है, क्योंकि उसका एक पड़ोसी देश आतंकवाद का गढ़ है। इस दौरान बिना नाम लिए उन्होंने कहा कि दशकों से दुनिया में हुए बड़े आतंकवादी हमलों की जड़ें उसी एक देश से जुड़ी रही हैं।
जयशंकर ने कहा कि भारत स्वतंत्रता के बाद से ही आतंकवाद की चुनौती का सामना कर रहा है। हमारा पड़ोसी दशकों से वैश्विक आतंकवाद का केंद्र रहा है। सीमा पार बर्बरता का सबसे ताजा उदाहरण इस वर्ष अप्रैल में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की हत्या थी। जो लोग आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों का समर्थन करते हैं, उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। पाकिस्तान में औद्योगिक स्तर पर आतंकवादी ठिकाने संचालित हो रहे हैं और आतंकियों को सार्वजनिक रूप से महिमामंडित किया जाता है। आतंकवाद के वित्तीय संसाधनों को पूरी तरह से बंद करना जरूरी है।
जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है, क्योंकि यह घृणा, हिंसा, असहिष्णुता और भय का मिश्रण है। जब कोई राष्ट्र आतंकवाद को राज्य नीति के रूप में अपनाता है, आतंकवादी केंद्र औद्योगिक स्तर पर संचालित होते हैं और आतंकियों को सार्वजनिक रूप से महिमामंडित किया जाता है, तो ऐसे कार्यों की कड़ी निंदा होनी चाहिए। विदेश मंत्री ने चेतावनी दी कि जो देश या संस्था आतंक को बढ़ावा देने वाले देशों का समर्थन करेंगे, उन्हें इसका नकारात्मक परिणाम भुगतना पड़ेगा। जयशंकर का यह भाषण भारत की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति और वैश्विक सुरक्षा में सक्रिय भूमिका को स्पष्ट करता है।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत समकालीन विश्व के साथ तीन प्रमुख अवधारणाओं- आत्मनिर्भरता, आत्मरक्षा और आत्मविश्वास के मार्गदर्शन में आगे बढ़ रहा है। हम देश और विदेश में अपने लोगों की रक्षा और उनके हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसका अर्थ है आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता, अपनी सीमाओं की मजबूत सुरक्षा, विदेश में साझेदारियां बनाना और विदेश में अपने समुदाय की सहायता करना।
जयशंकर ने टैरिफ के कारण दुनिया भर में फैली अस्थिरता और अनिश्चितत का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि भारत टैरिफ अस्थिरता और अनिश्चित बाजार पहुंच देख रहा है। ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा, खासकर 2022 के बाद से, संघर्ष और व्यवधानों की पहली शिकार रही हैं। बेहतर स्थिति वाले समाज ने पहले पहल करके खुद को सुरक्षित रखा। संसाधनों की कमी से जूझ रहे समाज ने जिंदा रहने के लिए संघर्ष किया, और उसके बाद उन्हें पाखंडी भाषण सुनने पड़े हैं।