इस विशेष रिपोर्ट में जानें कि कैसे मध्य प्रदेश में इस बार मॉनसून के अनुमानों से कम बारिश होने पर भी जल संकट उत्पन्न नहीं होगा। प्रदेश के बांधों के मौजूदा जल स्तर और जल प्रबंधन की तैयारियों पर आधारित यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे खेती और पीने के पानी की समस्या से बचा जा सकता है।
By: Star News
Jun 20, 20254 hours ago
मीतेन्द्र नागेश . भोपाल.
मध्यप्रदेश में इस बार अच्छी बारिश का अनुमान है। हालांकि, अगर अनुमान के मुताबिक बारिश नहीं होती है, तब भी प्रदेश में जल संकट की समस्या उत्पन्न नहीं होगी। न तो खेती पर सूखे की मार पड़ेगी और न ही प्रदेश की जनता पीने के पानी के लिए तरसेगी। यह स्थिति प्रदेश के प्रमुख बांधों के मौजूदा जल स्तर से सामने आ रही है।
सूबे के ज्यादातर बांध आधे से ज्यादा भरे हुए हैं। प्रदेश के प्रमुख बांध मात्र 0.01 मीटर से 15 मीटर तक खाली हैं। गोपीकृष्ण सागर बांध गुना और इंदिरा सागर बांध खंडवा जहां सबसे कम 0.01 मीटर खाली है, वहीं तवा बांध नर्मदापुरम का जल स्तर मात्र 15.12 मीटर नहीं है। इस साल सामान्य से बेहतर बारिश के अनुमान के बीच विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह अनुमान फेल भी हुआ, तब भी अनुमान के मुकाबले 70 फीसदी बारिश ही बांधों की प्यास बुझाने के लिए काफी है।
प्रदेश में बांधों का मौजूदा जल स्तर सिंचाई, पेयजल और अन्य जरूरतों के लिए काफी है। फिलहाल सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए पानी के संकट जैसी कोई स्थिति नहीं है। प्रदेश में वर्ष 2017 में सामान्य 37.3 इंच (949 मिमी) के मुकाबले केवल 29.9 इंच (760) मिमी बारिश हुई थी। सामान्य से कम बारिश के बाद भी प्रदेश में सिंचाई और पेयजल व्यवस्था बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुई थी। जिन क्षेत्रों में खेती पूरी तरह बारिश के पानी पर निर्भर है, वहां थोड़ी समस्या थी, लेकिन यह क्षेत्र बहुत ज्यादा नहीं थे।
मौसम विभाग ने मई के अंतिम सप्ताह में जून से सितंबर के बीच प्रदेश में 104 से 106% तक बारिश होने का पूवार्नुमान लगाया है, जो सामान्य बारिश से बेहतर है। प्रदेश में जून में सामान्य से 4% कम बारिश की संभावना जताई गई है, लेकिन जुलाई में 2% अधिक बािरश होगी। साथ ही अगस्त में यह वृद्धि 8% और सितंबर में 4% अधिक बारिश का अनुमान है। यदि अनुमान के मुताबिक बारिश हुई तो मानसूनी सीजन में कई बार ऐसी स्थिति बनेगी, जब बांध लबालब होंगे और गेट खोलने पड़ेंगे।