ओडिशा के पुरी जिले में स्थित श्री गुंडिचा मंदिर के पास रविवार तड़के हुई एक भगदड़ में तीन लोगों की मौत हो गई। वहीं 50 से ज्यादा श्रद्धालु घायल हो गए हैं। यह हादसा सुबह करीब 4 बजे हुआ, जब सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर के निकट एकत्रित हुए थे।
By: Arvind Mishra
Jun 29, 202510 hours ago
ओडिशा के पुरी जिले में स्थित श्री गुंडिचा मंदिर के पास रविवार तड़के हुई एक भगदड़ में तीन लोगों की मौत हो गई। वहीं 50 से ज्यादा श्रद्धालु घायल हो गए हैं। यह हादसा सुबह करीब 4 बजे हुआ, जब सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर के निकट एकत्रित हुए थे। अभी तीन लोगों की मौत की आधिकारि पुष्टि हो पाई है। कहा जा रहा है कि मृतकों की सख्या बढ़ भी सकती है। चूंकि जहां भगदड़ मची थी वहां हजारों की संख्या में लोग जुटे थे। इधर, पुरी के जिला कलेक्टर सिद्धार्थ एस स्वैन ने बताया कि घटना में घायल लोगों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें से छह की हालत गंभीर बनी हुई है। मृतकों की पहचान बसंती साहू (बोलागढ़), प्रेमकांत मोहंती और प्रवाती दास (दोनों बालिपटना निवासी) के रूप में की गई है। तीनों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। कलेक्टर के अनुसार, घटना की जांच शुरू कर दी गई है और प्रशासन हालात पर नजर बनाए हुए है। भीड़ को नियंत्रित करने और घायलों को राहत पहुंचाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं।
दरअसल, उक्त हादसा तब हुआ, जब रथों के दर्शन के लिए भारी भीड़ जुट गई थी। इसी दौरान भगदड़ मची और गिरने से लोग कुचल गए। बताया जा रहा है कि जहां भगदड़ हुई, वहां पर्याप्त पुलिस या सुरक्षा बल तैनात नहीं थे। भगवान बलभद्र और सुभद्रा के रथ पहले ही श्रध्दाबली (समाप्ति स्थल) पहुंच चुके थे। बाद में भगवान जगन्नाथ का रथ अपनी मौसी के यहां गुंडिचा मंदिर पहुंचा। घायलों और मृतकों को पुरी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया है।
गौरतलब है कि शुक्रवार को भी देवी सुभद्रा के रथ के आसपास भीड़ का दबाव बढ़ने से 625 से श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ गई थी। प्रशासन के मुताबिक, 70 अस्पताल में भर्ती किया गया। इनमें से 9 की हालत गंभीर है। शनिवार को यात्रा के दौरान एक श्रद्धालु की तबीयत बिगड़ गई। पुरी में शुक्रवार को शाम 4 बजे भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हुई थी। सबसे पहले भगवान बलभद्र का रथ खींचा गया। इसके बाद सुभद्रा और जगन्नाथ के रथ खींचे गए। पहले दिन बलभद्र का रथ 200 मीटर तक खींचा गया, सुभद्रा-भगवान जगन्नाथ के रथ भी कुछ दूरी तक खींचे गए।