संविधान सर्वोच्च...संसद के पास संशोधन की शक्ति पर संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदल सकती    

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि हमेशा इस पर चर्चा होती है कि लोकतंत्र का कौन सा अंग सर्वोच्च है-  कार्यपालिका, विधायिका या न्यायपालिका। हालांकि कई लोग कहते और मानते हैं कि संसद सर्वोच्च है, लेकिन मेरे हिसाब से भारत का संविधान सर्वोच्च है। 

By: Arvind Mishra

Jun 26, 20251:50 PM

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संविधान सर्वोच्च...संसद के पास संशोधन की शक्ति पर संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदल सकती    

  • सीजेआई की दो टूक-न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका संविधान के अधीन

  • सरकार के खिलाफ आदेश पारित करने मात्र से कोई न्यायाधीश स्वतंत्र नहीं हो जाता 

  • हम नागरिकों के अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों और सिद्धांतों के संरक्षक भी हैं...

  • हमें स्वतंत्र सोचना होगा, लोग क्या कहेंगे, ये निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं  

नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब

देश का संविधान सर्वोपरी है। हमारे लोकतंत्र के तीनों अंग-न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका संविधान के अधीन काम करते हैं। कुछ लोग कहते हैं संसद सर्वोच्च है, लेकिन मेरी राय में देश का संविधान सबसे ऊपर है। यह बात भारत के मुख्य न्यायाधीश अमरावती में बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह के दौरान कही। अमरावती सीजेआई का गृह नगर भी है। दरअसल, सीजेआई की उक्त टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब देश में संविधान और संसद को लेकर एक बहस छिड़ी है कि इसमें ‘सुप्रीम’ कौन है। अपने संबोधन के दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि हमेशा इस पर चर्चा होती है कि लोकतंत्र का कौन सा अंग सर्वोच्च है-  कार्यपालिका, विधायिका या न्यायपालिका। हालांकि कई लोग कहते और मानते हैं कि संसद सर्वोच्च है, लेकिन मेरे हिसाब से भारत का संविधान सर्वोच्च है।

हमारी जिम्मेदारियां भी हैं...

लोकतंत्र के तीनों अंग संविधान के अंतर्गत काम करते हैं। सरकार के खिलाफ आदेश पारित करने मात्र से कोई न्यायाधीश स्वतंत्र नहीं हो जाता। सीजेआई ने कहा कि न्यायाधीश को हमेशा याद रखना चाहिए कि हमारा कर्तव्य है कि हम नागरिकों के अधिकारों, संवैधानिक मूल्यों और सिद्धांतों के संरक्षक हैं। हमारे पास केवल शक्ति नहीं है, बल्कि हमारी कुछ जिम्मेदारियां भी हैं।

हमें बदलनी होगी सोच

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायाधीश को इस बात से निर्देशित नहीं होना चाहिए कि लोग उनके निर्णय के बारे में क्या कहेंगे या क्या महसूस करेंगे, बल्कि हमें स्वतंत्र रूप से सोचना होगा। लोग क्या कहेंगे, यह हमारी निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन सकता। सीजेआई ने जोर देकर कहा कि उन्होंने हमेशा अपने निर्णयों और काम को बोलने दिया और हमेशा संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के साथ खड़े रहे।

आवास का अधिकार सर्वोच्च

मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट करते हुए कहा कि संसद को संविधान में संशोधन करने का अधिकार तो है, लेकिन वह संविधान की मूल संरचना को नहीं बदल सकती। सीजेआई ने अपने बुलडोजर जस्टिस पर दिए फैसले की याद दिलाते हुए कहा कि आवास का अधिकार सर्वोच्च है। मैं हमेशा मौलिक अधिकारों और संविधान के साथ खड़ा रहा हूं।

वकील बनने की कहानी

मुख्य न्यायाधीश ने भावुक होकर अपने बचपन के दिनों की यादें साझा कीं। उन्होंने कहा कि मैं आर्किटेक्ट बनना चाहता था, लेकिन मेरे पिता चाहते थे कि मैं वकील बनूं, क्योंकि वे खुद स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण वकील नहीं बन पाए थे।

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