मध्यप्रदेश के कृषि एवं छतरपुर के प्रभारी मंत्री के प्रभार का जिला इन दिनों देशभर में सुर्खियां बटोर रहा है। लेकिन मंत्री को इसकी भनक तक नहीं लगी। प्रदेश छतरपुर जिले में साधु-संतों ने आमरण अनशन चल रहा है और किसी भी अधिकारी और जनप्रतिनिधि ने नहीं देखा।
By: Arvind Mishra
Jul 10, 20252:22 PM
भोपाल। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश के कृषि एवं छतरपुर के प्रभारी मंत्री के प्रभार का जिला इन दिनों देशभर में सुर्खियां बटोर रहा है। लेकिन मंत्री को इसकी भनक तक नहीं लगी। प्रदेश छतरपुर जिले में साधु-संतों ने आमरण अनशन चल रहा है और किसी भी अधिकारी और जनप्रतिनिधि ने नहीं देखा। इस अनदेखी से शासन-प्रशासन के साथ-साथ जन प्रतिनिधियों के खिलाफ भी लोगों में आक्रोश पनप रहा है। दरअसल, रामलला सरकार मंदिर के पुजारी साधुदास उर्फ वीरेंद्र कुमार दस दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं। यही नहीं, पिछले तीन दिन से भूख हड़ताल भी शुरू कर दी है। लेकिन किसी भी अधिकारी और जनप्रतिनिधि ने कोई सुध नहीं ली है। जिम्मेदारों की उदासीनता और अड़ियल रैवेये के चलते पुजारी का दिनों-दिन स्वास्थ गिरता जा रहा है। प्रशासन द्वारा न डॉक्टर न ही एम्बुलेंस उपलब्ध कराई गई। पुजारी के साथ अनशन अस्थल पर बैठ अन्य साधु-संतों ने बताया कि साधुदास की हालत अब बिगड़ने लगी है। इधर, अनशन पर बैठ साधु-सतों ने अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से गुहार लगाई है। संतों ने कहा कि अब सीएम ही हमारे साथ न्याय करेंगे और दोषियों को दंड भी देंगे। संतों ने कहा कि सरकार चाहे तो मंदिर से जुड़े एक-एक कागज की जांच करा ले। इससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। लेकिन मंदिर से जुड़ जो भी जांच हो वो जिले के बाहर के अधिकारियों से कराई या फिर भोपाल से टीम भेजकर कराई जाए। बाहर की टीम निष्पक्ष और न्याय संगत जांच करेगी। हमें पूरा भरोसा है।
इधर, मौके पर मौजूद साधु-संतों का कहना है कि धर्मस्व शाखा प्रभारी और एसडीएम लवकुश नगर राकेश शुक्ला ने 10 दिनों से चल रहे अनशन को पुलिस का बल प्रयोग कर पुजारी साधु दास को अनशन स्थल से हटा दिए जाने की धमकी दी गई। साथ ही निर्मोही अखाड़ा के मंडल अध्यक्ष महंत भगवानदास पर दबाव बनाकर साधु-संतो में टकराव पैदा करने की साजिश रची जा रही है।
दो दिन पूर्व निर्मोही अखाड़ा के महंत भगवान दास श्रृंगारी अनशन समर्थन करते हुए प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी शासन-प्रशासन को दी। यही नहीं, दो दिन धरना स्थल पर साधुदास के साथ बैठे भी, लेकिन बुधवार की देर शाम अपनी बातों से मुकर गए। कहा जा रहा है कि यह सब दबाव के चलते हुआ है।
पुजारी साधुदास द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों में लिखा है कि-दिनांक 31.03.2023 की नायब तहसीलदार सौरा मंडल द्वारा के प्वाइंट 6 में साफ तौर में लिखा है-न ही श्री रामलला सरकार मंदिर शासकीय है और न ही किसी पुजारी का नाम शासकीय सूची में दर्ज है। दिनांक 04.02.2019 की धार्मिक न्यास के नियम में गुरु शिष्य परम्परा से संचालित मंदिर में उस प्रथा या परम्परा को ही प्राथमिकता दी जाएगी। ऐसा साफ तौर पर लेख है। इसके बाद भी मंदिर में कब्जा का प्रयास किया जा रहा है।
अनशन पर बैठे पुजारी की मांग है कि दबंग एवं आपराधिक लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही 19 अप्रैल 2025 की स्थिति में मंदिर में उनकी पुन: स्थापना हो। तथा दर्ज फर्जी मुकदमों को वापस लिया जाए। यही नहीं, दबंगों को संरक्षण देने वाले अफसरों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
यहां सबसे हैरानी की बात यह है कि साधु-संतों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। यही नहीं, मंदिर प्रबंधन से जुडेÞ साधु-संत एक नहीं दो-दो बार कलेक्टर की जनसुनवाई में आवेदन देकर गुहार लगा चुके हैं। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।