अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कतर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें कहा गया है कि कतर पर किसी भी हमले को अमेरिका अपनी सुरक्षा पर खतरा मानेगा और जरूरत पड़ने पर सैन्य कार्रवाई करेगा।
By: Sandeep malviya
अबू धाबी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कतर की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम उठाते हुए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। इस आदेश में साफ कहा गया है कि अमेरिका कतर की क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा की रक्षा करेगा और जरूरत पड़ने पर सैन्य कार्रवाई भी की जाएगी। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब इस्राइल ने हाल ही में कतर पर हमला किया था। व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर सोमवार को जारी आदेश में कहा गया है कि अमेरिका कतर के खिलाफ किसी भी हमले को अपनी सुरक्षा और शांति के लिए खतरा मानेगा। आदेश के अनुसार, यदि कतर पर हमला होता है तो अमेरिका कूटनीतिक, आर्थिक और आवश्यक होने पर सैन्य कार्रवाई करके कतर और अपने हितों की रक्षा करेगा।
इस्राइल हमले की पृष्ठभूमि
यह आदेश ऐसे समय आया जब इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू वॉशिंगटन पहुंचे थे। ट्रंप ने नेतन्याहू और कतर के अधिकारियों के बीच बातचीत भी कराई। इस दौरान नेतन्याहू ने कतर में हुए हमले पर खेद जताया। इस हमले में छह लोग मारे गए थे, जिनमें एक कतर सुरक्षा बल का जवान भी शामिल था।
कतर की भूमिका और अमेरिका का रिश्ता
कतर लंबे समय से अमेरिका का अहम सैन्य सहयोगी रहा है। अमेरिका का सेंट्रल कमांड कतर के अल-उदीद एयरबेस से संचालित होता है। साल 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कतर को गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा भी दिया था। कतर प्राकृतिक गैस के भंडार के कारण ऊर्जा क्षेत्र में भी बड़ी शक्ति है और मध्य पूर्व में अमेरिकी रणनीतिक हितों का केंद्र है। हालांकि, इस आदेश की वास्तविक ताकत को लेकर सवाल बने हुए हैं। अमेरिकी संविधान के अनुसार अंतरराष्ट्रीय संधियों को सीनेट की मंजूरी चाहिए होती है, लेकिन राष्ट्रपति कई बार सीधे ऐसे समझौते कर चुके हैं। ट्रंप का यह कदम कानूनी तौर पर कितना प्रभावी होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
खाड़ी देशों की स्थिति
इस्राइल के हमले के बाद खाड़ी क्षेत्र में सुरक्षा पर नया तनाव बढ़ गया है। सऊदी अरब ने पाकिस्तान के साथ रक्षा समझौता किया है, जिसके तहत पाकिस्तान का परमाणु सुरक्षा छाता अब रियाद पर भी लागू होगा। विश्लेषकों का मानना है कि खाड़ी के अन्य देश भी अब अमेरिका से इसी तरह की गारंटी मांग सकते हैं ताकि इस्राइल और ईरान के खतरे से निपट सकें।