बायजू रवींद्रन ने एनसीएलटी में बायजूस (टीएलपीएल) के प्रमुख कर्जदाता जीएलएएस ट्रस्ट के खिलाफ ₹100 करोड़ के सीसीडी समझौते को अवैध बताते हुए याचिका दायर की है। आरोप है कि यह सौदा FDI की आड़ में FEMA और IBC का उल्लंघन कर रहा है। जानें पूरा मामला।
By: Ajay Tiwari
Nov 16, 20254:07 PM
नई दिल्ली. स्टार समाचार वेब
बायजूस की मूल कंपनी, थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (टीएलपीएल), एक बड़े कानूनी विवाद के केंद्र में है। निलंबित निदेशक बायजू रवींद्रन ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने कंपनी के प्रमुख कर्जदाता जीएलएएस ट्रस्ट कंपनी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
रवींद्रन का दावा है कि जीएलएएस ट्रस्ट एक ₹100 करोड़ का कंपल्सरी कन्वर्टिबल डिबेंचर (सीसीडी) समझौता कराकर विदेशी निवेश (एफडीआई) की आड़ में अवैध विदेशी कर्ज (ईसीबी) दिलाने की कोशिश कर रही है। उनका आरोप है कि यह सौदा, जो टीएलपीएल की आकाश राइट्स इश्यू में भागीदारी के लिए किया जा रहा है, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) और दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) के नियमों का खुला उल्लंघन है।
मामले की जड़ एईएसएल (आकाश) के राइट्स इश्यू से जुड़ी है, जिसे सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिल चुकी है। टीएलपीएल के पास आकाश की लगभग 25.7% हिस्सेदारी है, और उसे राइट्स इश्यू में भाग लेने के लिए लगभग ₹25.75 करोड़ की आवश्यकता है।
चूंकि टीएलपीएल स्वयं कॉर्पोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) के तहत है और उसके पास फंड नहीं है, इसलिए जीएलएएस ट्रस्ट ने अपनी अमेरिकी सहायक कंपनी के माध्यम से टीएलपीएल को ₹100 करोड़ तक के सीसीडी जारी करने का प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव का उद्देश्य टीएलपीएल के लिए आवश्यक धन जुटाना था।
रवींद्रन ने एनसीएलटी में तर्क दिया है कि सीसीडी समझौते की संरचना जानबूझकर इस तरह से की गई है कि यह एफडीआई जैसा दिखे, जबकि वास्तव में यह एक अवैध विदेशी कर्ज (ईसीबी) है, जिस पर आरबीआई और फेमा के नियमों के तहत रोक है।
दोहरी प्रकृति: उनका कहना है कि इस साधन को एक ही समय में मजबूरी से परिवर्तनीय (जो इसे एफडीआई बनाता है) और विकल्प से परिवर्तनीय (जो कानूनी रूप से असंभव है) बताया जा रहा है।
कानूनी उल्लंघन: रवींद्रन के अनुसार, सीसीडी को सीआईआरपी प्रक्रिया के दौरान इंटरिम फाइनेंस भी बताया जा रहा है, जो इसकी प्रकृति को देखते हुए संभव नहीं है। उनका दावा है कि एफईएमए के नियमों के अनुसार यह वास्तव में एक अनधिकृत विदेशी कर्ज है।
बायजू रवींद्रन ने एनसीएलटी से अनुरोध किया है कि पांच नवंबर की सीओसी (कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स) मीटिंग में पास किए गए सभी सात प्रस्तावों को रद्द किया जाए और जीएलएएस ट्रस्ट के साथ किए गए सीसीडी समझौते को अवैध घोषित किया जाए।