सतना की केन्द्रीय जेल से स्वतंत्रता दिवस पर 17 कैदी रिहा किए गए। इनमें छतरपुर जिले के 4 सगे भाई भी शामिल हैं जो 13 साल से उम्रकैद की सजा काट रहे थे। जेल में रहकर उन्होंने 3 लाख रुपए कमाए। अन्य दो कैदी भी लखपति बनकर बाहर निकले। सभी ने अपराध छोड़कर नया जीवन शुरू करने का संकल्प लिया।
By: Yogesh Patel
Aug 17, 20253 hours ago
हाइलाइट्स
सतना, स्टार समाचार वेब
स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर केन्द्रीय जेल सतना में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 17 कैदियों को रिहा किया गया और वे जेल की चारदीवारी से बाहर आए। रिहा होने वालों में चार सगे भाई भी शामिल हैं जो पिछले 13 साल से केन्द्रीय जेल में अपने जुर्म की सजा काट रहे थे। रिहा होने वालों में सतना जिले के 4, मैहर जिले का 1, छतरपुर जिले के 10, पन्ना जिले का 1 और सीहोरा का 1 कैदी शामिल हैं जिन्हें शासन की विशेष रिहाई योजना का लाभ मिला। इन कैदियों को यह लाभ जेल में अच्छे चाल-चलन व व्यवहार के कारण मिला। रिहा होने वाले में तीन कैदी खुली जेल में सजा काट रहे थे। रिहा होने वाले प्रत्येक कैदी को एक पौधा और भगवत गीता के अलावा जेल में किए गए कार्य का पारिश्रमिक प्रदान किया गया।
जेल में रहते चारों भाई ने कमाए 3 लाख
स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के दिन रिहा होने वालोें में चार सगे भाई कृपाल यादव, भागवत यादव, गोपाल यादव और राजू यादव शामिल हैं, यह चारों छतरपुर जिले के छुलहा पुरवा गांव के निवासी हैं। वर्ष 2010 में जमीनी विवाद में टिकरी गांव के लोधी परिवार के तीन सदस्य दादू लोधी, राजाराम लोधी और राम लोधी की हत्या चारों भाईयों ने कर दी थी। चारों भाईयों को 8 अगस्त 2012 को अदालत ने आजीवन कारवास की सजा सुनाई। इसके बाद इन्हें केन्द्रीय जेल सतना भेज दिया गया तब से चारों भाई केन्द्रीय जेल में सजा काट रहे थे। जेल में रहते हुए चारों भाई अलग-अलग काम किया करते थे। जेल में रहकर चारों भाईयों ने 3 लाख रुपए के करीब कमाई की। रिहा होने पर जेल प्रबंधन के द्वारा चारों भाईयों को जेल में रहकर किए गए पारिश्रमिक तीन लाख रुपए प्रदान किए गए।
दो कैदी भी लखपति बनकर निकले
केन्द्रीय जेल से रिहा होने वाले कैदियों में ददोली जोशी और राजेश मवासी भी हैं। इन दोनों कैदियों ने जेल में रहकर जेल प्रबंधन के द्वारा दिए गए कार्यों को किया। जेल के अंदर काम कर ददोली जोशी ने 1 लाख 13 हजार 186 रुपए और राजेश मवासी ने 1 लाख 7 हजार 23 रुपए का पारिश्रमिक कमाया। दोनों ने कहा कि जेल में रहकर किए गए कार्य का पारिश्रमिक के जरिए वे जीवन की नई शुुरुआत करेंगे।
नई शुुरुआत का लिया संकल्प
केन्द्रीय जेल से रिहा हुए कैदियों ने सजामाफी मिलने पर जेल से बाहर आने पर कहा कि अब वे जीवन की नई शुुरुआत का संकल्प ले रहे हैं, लोगों को नशा और अपराध से दूर रहने के लिए हर प्रयास करेंगे। जेल अधीक्षक लीना कोष्ठा ने बताया कि रिहा हुए बंदियों को नया जीवन शुरू करने के लिए पे्ररित करने हेतु पौधा और भगवत गीता प्रदान किया गया है। इन बंदियों को राज्य शासन की विशेष माफी योजना के तहत समय से पहले रिहा किया गया है। जेल में बंदियों से अलग-अलग कार्य कराए जाते हैं जिनके बदले उन्हें पारिश्रमिक दिया जाता है। इस पहल से बंदी न केवल आर्थिक रूप से सशक्त होते हैं बल्कि नया जीवन शुरू करने में भी उन्हें मदद मिलती है।