भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 238 बैंकिंग नियमों का ड्राफ्ट जारी किया है, जो 2026 से लागू होंगे। साइबर फ्रॉड की सूचना 3 दिन में देने पर ग्राहक की जवाबदेही शून्य होगी। लॉकर चोरी/नुकसान पर बैंक किराए का 100 गुना तक हर्जाना देगा। जानिए KYC, लोन डाउनपेमेंट, प्रीपेमेंट पेनाल्टी और वरिष्ठ नागरिक बैंकिंग से जुड़े सभी बड़े बदलाव।
By: Ajay Tiwari
Oct 24, 20254:31 PM
नई दिल्ली, स्टार समाचार वेब. बिजनेस डेस्क
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश के बैंकिंग सेक्टर में बड़े सुधारों की तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत, 238 बैंकिंग नियमों का एक ड्राफ्ट जारी किया गया है, जिस पर आम जनता और हितधारकों से 10 नवंबर तक सुझाव मांगे गए हैं। आरबीआई के पूर्व गवर्नर आर गांधी के अनुसार, नियामक कानूनों में सुधार के लिए जनता से सुझाव मांगे जाने का यह पहला मौका है।
इन प्रस्तावित सुधारों को 1 जनवरी से 1 अप्रैल 2026 तक चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा, जिसके बाद ग्राहकों के लिए बैंकिंग अनुभव अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और जवाबदेह हो जाएगा।
नए नियमों का सबसे बड़ा फोकस ग्राहक सुरक्षा और बैंक की जवाबदेही तय करने पर है।
| मुख्य बदलाव | विवरण | पहले की स्थिति |
| साइबर फ्रॉड पर जवाबदेही | यदि ग्राहक तीन दिन के भीतर बैंक को फ्रॉड की जानकारी देता है, तो ग्राहक की जवाबदेही शून्य होगी। बैंक की देरी या कार्रवाई न करने पर ₹25,000 तक का जुर्माना लगेगा। | पहले कोई समय-सीमा तय नहीं थी, जिससे बैंक की जवाबदेही अस्पष्ट रहती थी। |
| लॉकर चोरी/नुकसान | लॉकर में चोरी या किसी नुकसान की स्थिति में बैंक को ग्राहक को किराए का 100 गुना तक हर्जाना देना होगा। | पहले बैंक पर कोई निश्चित जवाबदेही नहीं थी। |
| CIBIL (सिबिल) अपडेट | पेमेंट या डिफॉल्ट की जानकारी हर महीने की 15 तारीख तक अपडेट करनी होगी। | पहले सिबिल अपडेट की समय-सीमा 90 दिन तक थी, जिससे क्रेडिट स्कोर रिपोर्ट में देरी होती थी। |
| क्लेम सेटलमेंट | बैंकों के लिए 15 दिन के अंदर क्लेम (दावा) निपटाना अनिवार्य होगा। | पहले कोई समय-सीमा तय नहीं थी, जिससे समाधान में देरी होती थी। |
लोन से संबंधित नियमों में पारदर्शिता और समानता लाने के लिए कई बड़े बदलाव प्रस्तावित हैं:
समान ब्याज फॉर्मूला: लोन की ब्याज दर तय करने के लिए एक एकीकृत फॉर्मूला लागू होगा। इससे ब्याज दरों में पारदर्शिता और समानता बढ़ेगी, जबकि अभी तक बैंक अपनी दरें खुद तय करते थे।
प्रीपेमेंट पेनाल्टी खत्म: सभी प्रकार के लोन पर (रिटेल लोन सहित) प्रीपेमेंट करने पर कोई अतिरिक्त शुल्क या पेनाल्टी नहीं लगेगी। इससे ग्राहक को जल्दी लोन चुकाना आसान हो जाएगा।
लोन का पूरा ब्योरा: बैंक को लोन देते समय ब्याज दर, फीस और पेनाल्टी का पूरा और स्पष्ट ब्योरा ग्राहक को देना होगा। इससे छिपे हुए चार्ज खत्म होंगे।
लोन डाउनपेमेंट में वृद्धि: ₹20 लाख से अधिक के होम लोन पर अब अधिकतम 80% ही लोन मिलेगा। पहले यह सीमा 90% थी, यानी ग्राहकों को अब ज्यादा डाउनपेमेंट देना होगा।
डॉक्यूमेंट वापसी: लोन चुकाने के बाद बैंक को 30 दिन के भीतर सभी डॉक्यूमेंट ग्राहक को लौटाने होंगे, अन्यथा ₹5000 प्रतिदिन का जुर्माना लगेगा।
गोल्ड लोन नीलामी: लोन न चुकाने पर गोल्ड की नीलामी के लिए ग्राहक की उपस्थिति और शपथ पत्र अनिवार्य होगा, जिससे निष्पक्षता सुनिश्चित होगी।
डिजिटल लोन: डिजिटल लोन के लिए कम से कम 1 दिन का कूलिंग ऑफ पीरियड (Cooling Off Period) अनिवार्य होगा, जिससे ग्राहक को लोन रद्द करने का समय मिल सके।
| क्षेत्र | प्रस्तावित बदलाव |
| केवाईसी अंतराल | सामान्य खातों के लिए 10 साल में एक बार, मध्यम जोखिम वालों के लिए 8 साल में एक बार, और उच्च जोखिम वालों के लिए हर 2 साल में केवाईसी अनिवार्य होगी। |
| केवाईसी आउटसोर्सिंग पर रोक | बैंक खुद केवाईसी करेंगे, एजेंसी से नहीं। इससे ग्राहक का डेटा अधिक सुरक्षित रहेगा। |
| वरिष्ठ नागरिक बैंकिंग | 70 वर्ष से अधिक उम्र के ग्राहकों को बैंक घर बैठे बैंकिंग सुविधा (डोरस्टेप बैंकिंग) देंगे। |
| अनक्लेम्ड जमा | ग्राहक का दावा आते ही बैंक तुरंत पैसा लौटाएगा और फिर आरबीआई से ले लेगा। इससे जमा राशि की वापसी आसान होगी। |
| संपत्ति घोषणा | सभी निजी बैंक के कर्मचारियों को भी अपनी संपत्ति का ब्योरा देना होगा (पहले केवल सरकारी बैंकों में था)। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी। |
| लॉटरी/चिटफंड पर रोक | बैंक ऐसे खातों या ट्रांजैक्शन की मंजूरी नहीं देंगे। इससे फर्जी स्कीम से सुरक्षा मिलेगी। |
| अनिवार्य छुट्टी | बैंक कर्मियों को संवेदनशील पदों पर होने पर 10 दिन की अनिवार्य छुट्टी लेनी होगी, जिससे धोखाधड़ी रोकने में मदद मिलेगी। |
आरबीआई के ये प्रस्तावित 238 नियम भारतीय बैंकिंग प्रणाली में एक बड़ा बदलाव लाएंगे। इनका मुख्य उद्देश्य ग्राहक केंद्रित सेवाएं, पारदर्शिता और बैंकों की मजबूत जवाबदेही सुनिश्चित करना है, जिससे आम नागरिक का बैंक पर भरोसा और मजबूत हो सके।