इंदौर की भागीरथपुरा बस्ती में दूषित पेयजल से डायरिया फैला। 80 वर्षीय बुजुर्ग की मौत, 150 से ज्यादा बीमार। सीएम मोहन यादव ने दिए जांच के निर्देश। नगर निगम ने शुरू की टैंकरों से सप्लाई।
By: Ajay Tiwari
Dec 30, 20254:37 PM
इंदौर: भागीरथपुरा में 'जहरीले' पानी का कहर
इंदौर | स्टार समाचार वेब
मध्य प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर के भागीरथपुरा क्षेत्र में पिछले पाँच दिनों से डायरिया (उल्टी-दस्त) ने कोहराम मचा रखा है। दूषित पेयजल की आपूर्ति के कारण अब तक 150 से अधिक लोग बीमार हो चुके हैं, जिनमें से एक 80 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रशासन को तत्काल सख्त कार्रवाई और बेहतर उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
इलाज के दौरान वर्मा अस्पताल में भर्ती नंदलाल पाल (80 वर्ष) की मृत्यु हो गई। बताया जा रहा है कि लगातार उल्टी और दस्त के कारण उनके शरीर में अत्यधिक कमजोरी आ गई थी। वर्तमान में लगभग 15 लोग विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं, जबकि कई अन्य का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में उपचार चल रहा है। मंगलवार सुबह कुछ मरीजों को स्वास्थ्य में सुधार के बाद परदेशीपुरा अस्पताल से छुट्टी दी गई है।
इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला तब गरमाया जब सोमवार रात कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय खुद मरीजों का हाल जानने अस्पताल पहुँचे। इसके बाद मंगलवार सुबह महापौर पुष्यमित्र भार्गव और क्षेत्रीय पार्षद कमल वाघेला ने बस्ती का दौरा कर जलापूर्ति व्यवस्था का जायजा लिया। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद अब नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीमें पूरी तरह सक्रिय मोड में हैं।
बस्ती के रहवासियों का आरोप है कि लंबे समय से नलों में गंदा पानी आ रहा है। लोगों का कहना है कि "नलों में पहले काला और बदबूदार पानी आता है, जिसे कई बार नगर निगम के अफसरों को दिखाया गया, लेकिन समाधान नहीं हुआ।" एहतियात के तौर पर पाइपलाइन से सप्लाई बंद कर नगर निगम टैंकरों के जरिए बस्ती में पानी भेज रहा है। नर्मदा विभाग के अधिकारियों का प्रारंभिक दावा है कि पानी दूषित नहीं है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने पानी के कई नमूने लिए हैं, जिनकी अंतिम रिपोर्ट आज शाम तक आने की उम्मीद है।
मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के अनुसार, सभी मरीजों में डायरिया के स्पष्ट लक्षण हैं। शरीर में पानी की कमी (Dehydration) सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है। बस्ती में स्वास्थ्य विभाग का एक अस्थाई कैंप भी लगाया गया है, जहाँ घर-घर जाकर लोगों को ओआरएस (ORS) के पैकेट और जरूरी दवाएं वितरित की जा रही हैं।