इंदौर के एमवाय अस्पताल में दो नवजात शिशुओं की मौत ने हड़कंप मचा दिया है। दोनों बच्चों को चूहों ने काटा था। अस्पताल प्रशासन ने इन मौतों का कारण चूहों को काटने को नहीं बताया है, बल्कि उनकी गंभीर हालत को जिम्मेदार ठहराया है। यह लेख इस पूरी घटना, आरोपों और सरकार की प्रतिक्रिया पर विस्तार से जानकारी देता है।
By: Ajay Tiwari
Sep 03, 2025just now
इंदौर: स्टार समाचार वेब
इंदौर के महाराजा यशवंतराव (एमवाय) अस्पताल में भर्ती दो नवजात शिशुओं की मौत हो गई है। ये वही नवजात थे जिनके शरीर पर चूहों के काटने के निशान मिले थे। एक बच्चे की मौत मंगलवार को हुई, जबकि दूसरे ने बुधवार को दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।
हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने इन मौतों की वजह चूहों के काटने को नहीं बताया है। डॉक्टरों के अनुसार, दोनों नवजातों की हालत पहले से ही गंभीर थी। जिस बच्चे की मौत मंगलवार को हुई, उसका वजन काफी कम था और उसकी सर्जरी भी हुई थी।
इस मामले के सामने आने के बाद, चिकित्सा शिक्षा विभाग ने डीन को नोटिस जारी किया है। वहीं, डीन ने दो नर्सिंग कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है, जिससे नर्सिंग स्टाफ में नाराजगी है। उनका कहना है कि अस्पताल में पर्याप्त सफाई न होने के कारण चूहे बड़ी संख्या में घूमते हैं। उन्होंने पेस्ट कंट्रोल कंपनी के स्टाफ के काम पर भी सवाल उठाए हैं।
एमवाय अस्पताल परिसर में चूहों ने सैकड़ों बिल बना रखे हैं। कई चूहे तो एक किलो तक के हैं। ये चूहे सिर्फ वार्डों में ही नहीं, बल्कि आईसीयू और एनआईसीयू जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भी घूमते हैं और कई बार बिजली के तार भी काट देते हैं।
इस घटना पर, मानव अधिकार आयोग ने अस्पताल अधीक्षक को जांच के निर्देश दिए हैं और जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। वहीं, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस घटना को भाजपा के 22 साल के शासन का असली चेहरा बताया है। उन्होंने कहा कि चूहों द्वारा मानव अंगों को कुतरने का मामला नया नहीं है और अक्सर ऐसी घटनाओं को दबा दिया जाता है।
गौरतलब है कि लगभग 30 साल पहले, सूरत में प्लेग फैलने के बाद एमवाय अस्पताल में चूहों को खत्म करने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया गया था। उस समय हजारों चूहों का सफाया किया गया था, लेकिन अब इनकी बढ़ती संख्या फिर से एक गंभीर समस्या बन गई है।
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