12 अगस्त को राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस के अवसर पर, जानें कैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पुस्तकालयों को उन्नत बना रहा है। डॉ. एस.आर. रंगनाथन के पाँच नियमों का पालन करने में AI की भूमिका और इससे जुड़ी चुनौतियों पर एक ख़ास रिपोर्ट।
By: Ajay Tiwari
Aug 07, 20256:00 PM
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स्टार समाचार वेब. फीचर डेस्क
12 अगस्त को 'राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस' के अवसर पर पद्मश्री डॉ. एस. आर. रंगनाथन को याद किया जाता है, जिन्हें भारत में पुस्तकालय विज्ञान का जनक कहा जाता है। उन्होंने पुस्तकालय विज्ञान के पाँच नियम दिए थे, जिन्हें आज के डिजिटल युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की मदद से और भी बेहतर तरीके से लागू किया जा सकता है।
आजकल पुस्तकालयों में AI का उपयोग तेज़ी से बढ़ रहा है। AI उपकरण पाठकों के लिए योग्य पुस्तकें, लेख और अन्य साहित्य सामग्री को जल्दी ढूँढ़ने में मदद करते हैं। मशीन लर्निंग का उपयोग करके पुस्तकालय पाठकों के व्यवहार का विश्लेषण कर उनकी पसंद के अनुसार सुझाव दे सकते हैं, जिससे उनका समय बचता है और उन्हें व्यक्तिगत अनुभव मिलता है।
AI डेटा का विश्लेषण करके यह भी अनुमान लगा सकता है कि भविष्य में किस तरह के साहित्य की मांग बढ़ सकती है, जिससे पुस्तकालय अपने संग्रह को बेहतर बना सकते हैं। यह शोधकर्ताओं को भी हजारों दस्तावेजों का विश्लेषण कर सटीक जानकारी देने में मदद करता है। इसके अलावा, AI की मदद से पुस्तकों या लेखों का सारांश तैयार करना भी आसान हो गया है।
पुस्तकालयों में वर्चुअल असिस्टेंट और चैटबॉट का उपयोग करके पाठकों के बार-बार पूछे जाने वाले सवालों का जवाब दिया जा सकता है, जिससे कर्मचारियों का काम आसान हो जाता है। हालाँकि, AI के कई फायदे हैं, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। AI के उपयोग से डेटा सुरक्षा, कॉपीराइट और एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह की चिंताएँ बढ़ सकती हैं।
सबसे बड़ी चुनौती यह है कि AI के आने से पुस्तकालय कर्मचारियों और पाठकों के बीच मानवीय संवाद कम हो सकता है। साथ ही, AI का इस्तेमाल गलत सूचना और झूठ फैलाने के लिए भी किया जा सकता है, जिससे एक विश्वसनीय सूचना स्रोत के रूप में पुस्तकालय की भूमिका पर सवाल उठ सकते हैं।
भविष्य में AI का प्रभाव बहुत तेज़ी से बढ़ेगा। पुस्तकालयों को AI का उपयोग करते समय सतर्क और जागरूक रहना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि AI-आधारित सेवाएँ सभी के लिए सुलभ हों और इसके उपयोग से मानवीय पहलू और संवाद कम न हो। यदि हम इसका सही तरीके से उपयोग करें, तो AI पुस्तकालयों को उन्नत बनाने और शिक्षा के विकास में अमूल्य योगदान दे सकता है।

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