लोकसभा ने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी निवेश की अनुमति देने वाले 'शांति' विधेयक 2025 को पारित किया। जानें क्या हैं इसके फायदे और क्यों विपक्ष कर रहा है विरोध
By: Ajay Tiwari
Dec 17, 20257:12 PM
नई दिल्ली: स्टार समाचार वेब
भारतीय संसद के निचले सदन, लोकसभा ने बुधवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 'भारत के रूपांतरण के लिए नाभिकीय ऊर्जा का संधारणीय दोहन और अभिवर्द्धन (शांति) विधेयक, 2025' को मंजूरी दे दी है। विपक्ष के कड़े विरोध और वॉकआउट के बावजूद, यह विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस कानून के लागू होने से भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में अब निजी कंपनियां भी भागीदारी कर सकेंगी।
परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने सदन में चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि भारत ने साल 2047 तक 100 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बढ़ती ऊर्जा जरूरतों और 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को पूरा करने के लिए परमाणु क्षेत्र में निजी भागीदारी अनिवार्य है। मंत्री ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा मानकों के साथ कोई समझौता नहीं किया गया है और नेहरू काल से चली आ रही सुरक्षा नीतियों को बरकरार रखा गया है।
विपक्षी दलों ने इस विधेयक को 'कॉरपोरेट समूहों' के हित में बताया। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि बिल में 'आपूर्तिकर्ता के उत्तरदायित्व' (Supplier Liability) का अभाव है। वहीं, शशि थरूर ने रेडियोधर्मी कचरे और विकिरण के खतरों की अनदेखी किए जाने का मुद्दा उठाया। विपक्ष की मांग थी कि विधेयक को विस्तृत जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा जाए, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया।
निजी निवेश: परमाणु ऊर्जा उत्पादन और अनुसंधान में निजी क्षेत्र की भागीदारी का प्रावधान।
बहुउद्देशीय उपयोग: ऊर्जा के अलावा स्वास्थ्य, कृषि, खाद्य सुरक्षा और जल शुद्धिकरण में परमाणु तकनीक का उपयोग।
उत्तरदायित्व कोष: नुकसान की स्थिति में संचालक (Operator) द्वारा भरपाई के लिए एक विशेष कोष का गठन।
मजबूत नियामक ढांचा: परमाणु विज्ञान और नवाचार के सुरक्षित उपयोग के लिए एक नया फ्रेमवर्क।