सरकारी स्कूलों में शिक्षकों पर भारी बोझ, 35 से अधिक ऑनलाइन एप और पोर्टल चलाने की जिम्मेदारी। शिक्षक पढ़ाने के बजाय पूरा दिन इन एप्स और पोर्टल्स में डाटा फीडिंग और रिपोर्टिंग में लगा देते हैं। इससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और स्कूलों में संकट गहरा रहा है।
By: Yogesh Patel
Oct 05, 20253 hours ago
हाइलाइट्स:
रीवा, स्टार समाचार वेब
सरकारी स्कूलों में लागू एप की संख्या सुन कर आप भी कह उठेंगे बाप रे बाप इतने ऐप। यह सच है। स्कूल शिक्षा विभाग में 35 से अधिक एप और पोर्टल चल रहे हैं। इतना ही नहीं यह एप शिक्षक, संस्था प्रमुख, बीआरसीसी के लिए चलाया जा रहा है। इन्हीं एप और पोर्टल में जानकारी दर्ज कराई जाती है। शिक्षक इन्हीं में उलझा हुआ है। पढ़ाने का समय ही नहीं निकाल पा रहा।
सरकार ने सरकारी स्कूलों की दुर्गति खुद ही कर दी है। शिक्षक तो यूं ही बदनाम है। सरकार ने स्कूलों में शिक्षक तो पदस्थ किए लेकिन उन्हें पढ़ाने का समय ही नहीं दे रही। इतने आनलाइन पोर्टल और एप इन पर लाद दिए गए हैं कि इन्हीं में शिक्षक उलझ कर रह गए हैं। पूरा दिन इन पोर्टल और एप में जानकारी फीड करने में ही बीत जाता है। ऐसे में शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के लिए समय ही नहीं निकाल पाते। स्कूल पहुंचने के बाद शासन की योजनाओं की जानकारी जुटाने में ही दौड़ते रह जाते हैं। सरकार की इन्हीं नीतियों के कारण स्कूलों में छात्रों की संख्या तेजी से घटती जा रही है। कई स्कूलें बंद हो चुकी है। जो बची हैं उन पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। शिक्षकों को कुल मिलाकर बाबू बना दिया गया है। पढ़ाने की जगह सारे काम कराए जा रहे हैं।
प्राथमिक में सबसे अधिक दिक्कतें
सबसे ज्यादा दिक्कतें प्राथमिक स्कूलों में होती है। जहां एक या दो शिक्षक पदस्थ रहते हैं। इतने सारे काम स्कूल शिक्षा विभाग में रहते हैं कि स्कूलों में पदस्थ शिक्षक इन्हीं कार्यों को पूरा करने में ही जुटे रह जाते हैं। पूरा समय ही जानकारी जुटाने और पोर्टल में अपडेट करने में चला जाता है। इसके बाद भी इन शिक्षकों पर अधूरी जानकारी या जानकारी देने में देरी पर कार्रवाई की तलवार लटक जाती है।
यह भी जिम्मेदारी शिक्षकों के ऊपर
स्कूल में पदस्थ शिक्षकों के पास सिर्फ आनलाइन डाटा फीड करना नहीं है। हर दिन राज्य शिक्षा केन्द्र से नया आदेश और निर्देश पहुंचता ही रहता है। उन आदेशों पर भी काम करने की जिम्मेदारी शिक्षकों की ही होती है। इसके अलावा सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों का निराकरण, ओलंपियाड की तैयारी, मोगली महोत्सव में परीक्षा दिलाना, सेवा पखवाड़ा चलाना, स्कालरशिप, गणवेश वितरण, साइकिल वितरण आदि की जिम्मेदारी भी शिक्षकों के भरोसे ही है।
35 से अधिक एप शिक्षकों को चलाना पड़ रहा