वायु प्रदूषण के कारण 2025 में हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम्स बढ़कर 9% हुए। 10 साल से कम उम्र के बच्चों में 43% दावे दर्ज। दिल्ली सबसे आगे, इलाज की लागत 11% बढ़ी।
By: Ajay Tiwari
Nov 18, 20256:16 PM
नई दिल्ली. स्टार समाचार वेब.
देश में बढ़ता वायु प्रदूषण एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल का रूप ले चुका है, जिसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य बीमा (हेल्थ इंश्योरेंस) क्लेम्स पर दिख रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदूषण से जुड़े स्वास्थ्य बीमा क्लेम्स में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है। साल 2022 में जहां ये क्लेम्स कुल दावों का 6.4% थे, वहीं 2025 में यह बढ़कर 9% तक पहुँच गया है। सितंबर 2025 में दर्ज की गई लगभग 9% अस्पताल में भर्तियाँ सीधे तौर पर प्रदूषण जनित बीमारियों, जैसे सांस की तकलीफ, आंखों की समस्या, और हृदय संबंधी दिक्कतों से जुड़ी हुई थीं।
प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के इलाज की लागत में पिछले एक साल में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के प्रमुख बिंदुओं के अनुसार, इन बीमारियों के लिए औसत स्वास्थ्य बीमा दावा ₹55,000 रहा है, जबकि औसत अस्पताल खर्च प्रतिदिन ₹19,000 तक दर्ज किया गया है। वर्तमान में, प्रदूषण से संबंधित बीमारियां अस्पताल में भर्ती होने वाले सभी बीमा दावों का लगभग 8 प्रतिशत हैं।
आंकड़े बताते हैं कि वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा शिकार बच्चे हो रहे हैं। 10 साल से कम उम्र के बच्चों पर प्रदूषण का सबसे अधिक असर पड़ रहा है, जो प्रदूषण से जुड़े कुल दावों का 43 प्रतिशत हिस्सा है। यह अनुपात अन्य आयु समूहों की तुलना में लगभग पाँच गुना अधिक है। इसकी तुलना में, 31 से 40 वर्ष के वयस्कों के दावे 14 प्रतिशत और 60 वर्ष से ऊपर के लोगों के 7 प्रतिशत रहे। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि युवा और अधिक सक्रिय आबादी, विशेषकर बच्चे, खराब हवा के सीधे प्रभाव में हैं।
बीमा दावों की संख्या के मामले में दिल्ली देश में सबसे आगे रहा है, जो देश का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर भी बना हुआ है। इसके अलावा, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे महानगरों में भी दावों का अनुपात अधिक देखा गया है। चिंता की बात यह है कि जयपुर, लखनऊ और इंदौर जैसे टीयर-2 शहरों में भी प्रदूषण से जुड़े मामलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।