यूपी के प्रतापगढ़ में पुलिस ने जेल से संचालित हो रहे ड्रग्स तस्करी गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने ₹2.01 करोड़ कैश, गांजा और हेरोइन (स्मैक) बरामद की है। इस कार्रवाई का नेतृत्व SP दीपक भूकर ने किया, जो पहले अतीक-अशरफ पर भी शिकंजा कस चुके हैं। जानें पूरी डिटेल।
By: Ajay Tiwari
Nov 09, 20255:18 PM
प्रतापगढ़. स्टार समाचार वेब
उत्तर प्रदेश पुलिस ने प्रतापगढ़ जिले में सक्रिय ड्रग माफिया के खिलाफ एक बड़ी और ऐतिहासिक कार्रवाई को अंजाम दिया है। मानिकपुर थाना क्षेत्र की पुलिस ने एक ऐसे संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसका संचालन जेल के अंदर से किया जा रहा था।
पुलिस ने इस छापेमारी के दौरान लगभग ₹2.01 करोड़ नकद राशि, 6.075 किलोग्राम गांजा और 577 ग्राम स्मैक (हेरोइन) बरामद की है। जब्त की गई नकदी इतनी ज्यादा थी कि इसे गिनने में पूरे 22 घंटे का समय लगा। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, यह ड्रग्स तस्करी से जुड़े मामले में अब तक की सबसे बड़ी नकद (कैश) बरामदगी है।
इस महत्वपूर्ण कार्रवाई का नेतृत्व पुलिस अधीक्षक (SP) दीपक भूकर ने किया। SP भूकर वही अधिकारी हैं, जिन्होंने इससे पहले प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की थी।
उनके निर्देशन में, पुलिस टीम ने जेल में बंद मुख्य तस्कर राजेश मिश्रा के ठिकाने पर छापा मारा। इस दौरान गिरोह की मुखिया रीना मिश्रा, उसके बेटे विनायक मिश्रा, बेटी कोमल मिश्रा, और रिश्तेदारों अजीत कुमार मिश्रा और यश मिश्रा को गिरफ्तार किया गया।
जांच में खुलासा हुआ कि मुख्य आरोपी राजेश मिश्रा जेल में बंद होने के बावजूद, अपने परिवार के सदस्यों को फोन और मुलाकातों के जरिए निर्देश देकर नशे के कारोबार को चला रहा था। यह नेटवर्क गांव और आस-पास के इलाकों में सक्रिय था। पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह लंबे समय से गांजा और स्मैक की तस्करी में लिप्त था और अवैध तरीके से करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर चुका था।
मानिकपुर के मुन्दीपुर गांव स्थित राजेश मिश्रा के आवास पर जब पुलिस टीम पहुंची, तो मुखिया रीना मिश्रा ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। दरवाजा खोलने पर, टीम ने पाया कि गिरोह के पांच सदस्य काले प्लास्टिक में नशे के सामान को छिपाने की कोशिश कर रहे थे। तलाशी में लाखों रुपये की नकदी और मादक पदार्थ बरामद हुए। पुलिस ने पुष्टि की है कि यह घर ही उनके तस्करी नेटवर्क का मुख्य ठिकाना था।
पुलिस जांच में एक और बड़ा खुलासा हुआ है कि रीना मिश्रा और उसके बेटे विनायक ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर जेल में बंद राजेश मिश्रा की जमानत कराई थी। उन्होंने एक व्यक्ति के नाम पर झूठे कागजात अदालत में पेश किए। इस धोखाधड़ी के लिए पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत एक नया मामला भी दर्ज किया है।
यह पहली बार नहीं है जब इस गिरोह पर शिकंजा कसा गया है। इससे पहले भी पुलिस ₹3 करोड़ 6 लाख से अधिक की चल-अचल संपत्तियों को राजेश और रीना मिश्रा की कुर्क कर चुकी है। इन पर पहले से ही गैंगेस्टर एक्ट, एनडीपीएस एक्ट (NDPS Act) सहित कई गंभीर मामले दर्ज हैं।