आज (9 जुलाई 2025) देशभर में केंद्रीय श्रमिक संगठनों और स्वतंत्र यूनियनों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल की। जानें भोपाल सहित विभिन्न शहरों में क्या रहा असर, क्या हैं श्रमिकों की प्रमुख मांगें और किन सेवाओं पर पड़ा प्रभाव।
By: Star News
Jul 09, 20254:21 PM
दिल्ली/भोपाल. स्टार समाचार वेब
केंद्र सरकार की 'श्रमिक विरोधी' और 'जनविरोधी' नीतियों के विरोध में आज देशभर में श्रमिकों और कर्मचारियों ने एकजुट होकर राष्ट्रव्यापी हड़ताल का रास्ता अपनाया है। केंद्रीय श्रमिक संगठनों और स्वतंत्र यूनियनों के आह्वान पर बुलाई गई इस हड़ताल में बैंक, डाक सेवा, परिवहन, कोयला, निर्माण और अन्य कई क्षेत्रों के लाखों कर्मचारी शामिल हुए हैं। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें न्यूनतम वेतन वृद्धि, स्थायी रोजगार, निजीकरण पर रोक और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना हैं। कुल 17 प्रमुख मांगों को लेकर यह हड़ताल देशव्यापी स्तर पर की गई है, जिससे आम जनजीवन पर भी व्यापक असर पड़ने की संभावना है।
भोपाल में बड़ा प्रदर्शन
राजधानी भोपाल में भी इस हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला। विभिन्न श्रमिक संगठनों से जुड़े कर्मचारी सुबह 10:30 बजे डाक भवन के पास स्थित इंदिरा प्रेस कॉम्प्लेक्स के सामने एकत्र हुए। इसके बाद सुबह 11 बजे इन कर्मचारियों ने एकजुट होकर एक विशाल रैली निकाली और एक सभा आयोजित की। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
बैंकिंग, डाक सेवाएं प्रभावित
हड़ताल के चलते भोपाल में बैंकिंग और डाक सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। कई बैंकों में कामकाज ठप रहा, जिससे ग्राहकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। डाकघरों में भी काम बाधित रहा। इसके अलावा, कई अन्य सार्वजनिक सेवाओं पर भी इस हड़ताल का असर देखने को मिला। हालांकि, रेलवे यूनियनों ने इस हड़ताल में सीधे तौर पर हिस्सा नहीं लिया है, लेकिन उन्होंने आंदोलन को अपना नैतिक समर्थन दिया है।
हड़ताल: उद्देश्य और मांगें
श्रमिक संगठनों का आरोप है कि केंद्र सरकार की नीतियां श्रमिकों के हितों के खिलाफ हैं और इनसे उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। प्रदर्शनकारी कुल 17 प्रमुख मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे हैं, जिनमें शामिल हैं:
न्यूनतम वेतन में वृद्धि: श्रमिकों के लिए सम्मानजनक और जीवनयापन के लिए पर्याप्त न्यूनतम वेतन सुनिश्चित किया जाए।
स्थायी रोजगार: ठेका प्रथा समाप्त कर स्थायी रोजगार को बढ़ावा दिया जाए।
निजीकरण पर रोक: सरकारी उपक्रमों और सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर तत्काल रोक लगाई जाए।
सामाजिक सुरक्षा: सभी श्रमिकों के लिए व्यापक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का विस्तार किया जाए।
श्रमिक कानूनों में बदलाव का विरोध: सरकार द्वारा प्रस्तावित श्रमिक कानूनों में उन बदलावों का विरोध, जिन्हें श्रमिक संगठन श्रमिकों के हितों के खिलाफ मानते हैं।
इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल से केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है ताकि वह इन मांगों पर विचार करे और श्रमिक हितों को प्राथमिकता दे।