सतना में नगर निगम कर्मचारियों पर फुटपाथ और सड़कों पर अवैध रूप से दुकानें सजवाने और बदले में 500 रुपए वसूलने के आरोप लगे हैं। रीवा-पन्ना मार्ग, बिरला रोड और अन्य व्यस्त रूटों पर दुकानों से बाजार बैठकी वसूली जा रही है। सहायक राजस्व अधिकारी के हस्ताक्षर वाली रसीदें मिलीं, जिससे पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े हो गए।
By: Yogesh Patel
Nov 23, 20258:21 PM
प्रमुख बिंदु-
सतना, स्टार समाचार वेब
शहर में नगर निगम के कर्मचारी फुटपाथ और सड़क बेंच रहे हैं! यह पढकर आप सोच में पड़ गए होंगे कि आखिर नगर निगम ने कौन सी नई स्कीम निकाली है। निगम ने यह कोई नई स्कीम नहीं निकाली है बल्कि यहां के कुछ कर्मचारी चंद पैसों के लालच में शहर के फुटपाथ और सड़क पर अवैध तरीके से दुकानें सजवा रहे हैं और इसके एवज में बकायदा वे शुल्क वसूल रहे हैं। शहर में सतना- रीवा मार्ग हो, सतना- पन्ना रोड या फिर सतना - सेमरिया मार्ग, हर तरफ इन दिनों सड़क में तरह-तरह के आइटमों की दुकानें सजी हैं। सड़क और फुटपाथ पर सजी इन दुकानों को नगर निगम की पूरी छूट निगम इन दुकानों से बाजार बैठकी वसूल रहा है। सहायक राजस्व अधिकारी के हस्ताक्षर से इन दुकानदारों को बकायदा बाजार बैठकी की रसीदें भी मुहैया कराई जा रही हैं।
हर दुकान का चार्ज फिक्स
शहर के बीटीआई मैदान और कोलगवां थाने के सामने और बिरला रोड में त्रिपाठी ट्रांसपोर्ट और यादव पेट्रोल पम्प के बीच एवं चित्रकूट रोड व पतेरी से अमौधा के बीच इन दिनों कम्बल और फर्नीचर व्यवसायी अपनी दुकान सजाए बैठे हैं। इन दुकानों को सड़क और फुटपाथ से हटाने की बजाय नगर निगम के कर्मचारी उनसे बाजार बैठकी वसूल रहे हैं। यह बैठकी शुल्क प्रति दुकान से 500 रुपए वसूला जा रहा है। स्टार समाचार के हाथ लगी रसीदों में सहायक राजस्व अधिकारी के हस्ताक्षर हैं। बताया जाता है कि शहर में बाजार बैठकी रोजाना वसूली की बजाय 6 माह और साल भर के हिसाब से वसूलने का प्रावधान किया गया है।
सड़क पर कब्जा, सजी दुकान
सुगम यातायात के लिए अक्सर अतिक्रमण हटाने की बातें की जाती हैं लेकिन शहर के बीचोंबीच से निकलने वाले रीवा-पन्ना मार्ग में ठीक कोलगवां थाने के सामने अवैध रूप से सड़क पर कब्जा कर कम्बल और फर्नीचर की दुकानें सजा ली गई हैं। इनसे बाजार बैठकी वसूल कर नगर निगम इन्हें वैध कर रही है जबकि इनके द्वारा शहर के सबसे व्यस्ततम और महत्वपूर्ण मार्ग को आधे से ज्यादा कब्जा कर सुगम यातायात बाधित किया जा रहा है। इनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उनसे निगम वसूली में जुटा है।