सतना-पन्ना नई रेल लाइन परियोजना तेजी पकड़ रही है। बरेठिया से नागौद तक ट्रैक बिछाने का काम सितंबर में स्पीड ट्रायल के लिए तैयार होगा और दिसंबर तक देवेंद्रनगर तक 20 किमी ट्रैक पूरा करने का लक्ष्य है। सुरंग निर्माण और विद्युतीकरण का कार्य भी चल रहा है। 2027 तक सतना-पन्ना रेल मार्ग पर ट्रेनें दौड़ने लगेंगी, जिससे बघेलखंड-बुंदेलखंड के बीच रेल संपर्क मजबूत होगा।
By: Yogesh Patel
Jul 06, 2025just now
सतना, स्टार समाचार वेब
बघेलखंड-बुंदेलखंड को रेल मार्ग से जोड़ने वाली नई रेल लाइन परियोजना अब रफ्तार पकड़ती दिख रही है। बरेठिया से नागौद के बीच ट्रैक बिछाने का काम लगभग पूरा हो रहा है। परियोजना से जुड़े वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों के अनुसार बरेठिया से नागौद के बीच सितम्बर माह में रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) का स्पीड ट्रायल होगा। वहीं दिसम्बर माह तक नागौद से देवेन्द्रनगर तक ट्रैक तैयार करने टॉरगेट निर्धारित किया गया है। टनल का काम भी इसी साल पूरा हो जाएगा। बताया गया साल 2026 खत्म होते-होते पन्ना तक रेल लाइन बिछ जाएगी। रेलवे के लक्ष्य के अनुसार 2027 में सतना-पन्ना नई रेल लाइन पूरी परियोजना को धरातल पर लाकर ट्रेन संचालन को गति देना है।
टनल का काम शुरू
देवेन्द्रनगर से पन्ना के बीच रेल लाइन के बीच 300 मीटर की टनल तैयार होगी। बताया गया कि टनल का कार्य सतना की तरफ से शुरू करवा दिया गया है। अक्टूबर माह तक में टनल का कार्य पूरा हो जाएगा। 33 करोड़ की लागत से सुरंग तैयार होगी।
18 किमी की परियोजना तैयार
सतना- पन्ना नई रेल लाइन परियोजना कुल 73.55 किमी की है जिसमें अभी तक प्रथम चरण में सतना से बरेठिया 18 किमी की लाइन तैयार कर सीआरएस ट्रायल किया जा चुका है। रेलवे का अब अगला टारगेट बरेठिया से नागौद तक ट्रैक तैयार करना है। बताया गया कि बरेठिया से नागौद नदी के बीच ट्रैक तैयार हो गया है। नदी से नागौद स्टेशन तक जुलाई माह के अंत तक में ही पटरी बिछा ली जाएगी।
हवा से बात करेंगी ट्रेनें
सतना-पन्ना रेल लाइन ललितपुर-सिंगरौली नई रेल लाइन परियोजना का एक हिस्सा है। 541 किमी लम्बी परियोजना के पूर्ण होते ही ललितपुर-सतना, रीवा-सिंगरौली, महौबा-खजुराहो खंड रेलमार्ग से जुड़ जाएंगे। बताया गया कि सतना-पन्ना नई रेल लाइन परियोजना में विद्युतीकरण का कार्य भी किया जा रहा है।
6 साल पहले हुआ था शिलान्यास
सतना-पन्ना रेल लाइन का शिलान्यास 19 जनवरी 2018 में किया गया था। बताया गया कि भू-अधिग्रहण के चलते परियोजना काफी लेट हुई है। हालांकि कोरोना काल में लॉकडाउन के समय परियोजना का काम बंद हो गया था और ठेका कंपनिया भाग खड़ी हुई थी। रेलवे को इस परियाजना के कार्य के लिए दूसरी बार टेंडर प्रक्रिया करनी पड़ी थी।