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13 साल में आदिवासी छात्रों को विद्यालय भवन नहीं दे सकी सरकार

सतना जिले के मझगवां विकासखंड के गढ़ीघाट गांव में 2013 में स्वीकृत प्राथमिक विद्यालय को अब तक भवन नहीं मिल सका। आदिवासी छात्र महुआ के पेड़ और अब टिन शेड में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। आदिवासी कल्याण के सरकारी दावे एक बार फिर बेनकाब।

By: Yogesh Patel

Jun 23, 2025just now

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13 साल में आदिवासी छात्रों को विद्यालय भवन नहीं दे सकी सरकार

सतना, स्टार समाचार वेब

आदिवासी समाज के उत्थान के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयास आदिवासी बाहुल्य मझगवां क्षेत्र तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसकी एक बानगी देखनी हो तो  मझगवां विकासखंड अंतर्गत ग्राम गढ़ीघाट पहुंचिए जहां वर्ष 2013 में स्वीकृत हुए एक  प्राथमिक विद्यालय को विद्यालय भवन तक नहीं नसीब हो सका है। तराई के बियावान जंगल के बीच दुर्गम इलाकों में शुमार गढ़ीघाट गांव के भवन विहीन विद्यालय में मौजूदा समय पर 25 से अधिक आदिवासी छात्र अध्ययनरत हैं जो शिक्षा हासिल करने की इच्छाशक्ति के साथ संसाधनहीन विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि गांव तक पहुंचने के लिए भी न ही कोई पक्की सड़क है और न ही पेयजल व सुलभ शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं है।

11 साल तक महुआ के पेड़ के नीचे संचालित हुआ था विद्यालय

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के उद्देश्य से वर्ष 2013 में विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार ने प्रयास कर गढ़ीघाट में प्राथमिक पाठशाला को स्वीकृत कराया था।  विधायक गहरवार के प्रयासों से पाठशाला खुली और आदिवासी छात्रों को शिक्षा की रोशनी नजर आई जिसके चलते शुरूआती दौर में महुआ के पेड़ के नीचे संचालित होने वाली कक्षाओं में ही वे अध्ययन करने लगे। इधर पाठशला खुलने के बाद शिक्षा विभाग में कागजी घोड़े दौड़ते रहे मगर गढ़ीघाट विद्यालय को भवन नसीब नहीं हुआ। इस विद्यालय में प्राथमिक शिक्षा हासिल करने वाले कई छात्र अब कालेज जाने की तैयारी कर रहे हैं बावजूद इसके विद्यालय भवन नहीं बन सका है। पेड़ के नीचे शिक्षा प्राप्त कर रहे आदिवासी छात्रों को विगत वर्ष थोड़ी राहत तब मिली तकरीबन एक वर्ष पूर्व ही प्रधानाध्यापिका के पद पर आई भावना बुंदेला ने पहल करते हुए स्व-व्यय कर  टीन शेड व बांउड्री वाल का निर्माण करा दिया। लिहाजा अब कम से कम बच्चों की धूप, पानी व आंधी-तूफान से सुरक्षा तो मिल जाती है। साथ ही बच्चों में पढ़ाई के लिए एक उत्साह भी बढ़ रहा है। 

शाला भवन का निर्माण गौड़ खनिज मद से  जल्द ही शुरू होगा। डीएमएफ मद से चित्रकूट विधानसभा के शाला भवन निर्माण के लिए 2 करोड़ 60 लाख रुपए कि राशि स्वीकृत हो चुकी है जिसमे प्रत्येक भवन विहीन शाला को 10 लाख रुपए की राशि भवन निर्माण के लिए प्राप्त होगी। 
सुरेंद्र सिंह गहरवार , विधायक चित्रकूट

आदिवासी हित का ढोल पीटने वाली सरकार की आदिवासी कल्याण के मामले में कथनी और करनी का अंतर साफ दिख रहा है। भाजपा सरकार की आदिवासी विरोधी नीति आज चित्रकूट में साफ दिखाई दे रही है। आदिवासी समाज के कल्याण के दावों के बीच एक दशक से अधिक समय से विद्यालय भवन का इंतजार बताता है कि सरकार उनके साथ छल्ल कर रही है। 

नीलांशु चतुर्वेदी, पूर्व विधायक, चित्रकूट

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