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उद्योग विहार बना वीरान भूमि: 20% में ही लग सके प्लांट, एमपीआईडीसी की चुप्पी सवालों में

रीवा के चोरहटा स्थित उद्योग विहार की 80% जमीन वर्षों से खाली पड़ी है। एमपीआईडीसी द्वारा करोड़ों की भूमि पूंजीपतियों को आवंटित की गई, लेकिन अधिकांश ने उद्योग स्थापित नहीं किए। नोटिस व कार्रवाई के बावजूद प्रोजेक्ट कागज़ों तक सीमित हैं। विभागीय साठगांठ और कानूनी दांवपेचों ने विकास को रोक रखा है।

By: Yogesh Patel

Jul 22, 20256 hours ago

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उद्योग विहार बना वीरान भूमि: 20% में ही लग सके प्लांट, एमपीआईडीसी की चुप्पी सवालों में

हाइलाइट्स

  • 200 करोड़ की ज़मीन वीरान: 150 लोगों को दी गई जमीन में से मात्र 20% पर ही उद्योग संचालन।
  • नोटिस और सिफारिशें: उद्योग न लगाने वालों को नोटिस, लेकिन रसूख से कार्रवाई टली।
  • जमीन पर कब्जा, प्रोजेक्ट अधूरे: बीटीएल को मिली 80 एकड़ में सिर्फ 5 एकड़ उपयोग; बिरला एरिक्शन की 13 में 7 एकड़ उपयोग।

रीवा, स्टार समाचार वेब

उद्योग विहार चोरहटा में उद्योग लगाने के नाम पर पूंजीपतियों ने एमपीआईडीसी से वर्षों पूर्व जमीन आवंटित कराकर उद्योग लगाना ही भूल गए। करोड़ों की खाली पड़ी भूमि पर उद्योग न लगने के बाद एमपीआईडीसी ने चुप्पी साध ली है। स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के नाम पर ली गई करोड़ों की भूमि में अब तक उद्योग न लग पाना एमपीआईडीसी की कार्य प्रणाली को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

एमपीआईडीसी के उद्योग विहार में लगभग 150 लोगों को अब तक जमीन आवंटित की है। कई एकड़ जमीन पूंजीपतियों को लीज डीड के तहत चंद रुपए में दी गई है। करोड़ों की भूमि सालों से खाली पड़ी है। उद्योग संचालन के नाम पर पिछले कई वर्षों से प्रक्रिया जारी होने का हवाला दिया जा रहा है। नतीजा योजना के मुताबिक न उद्योगों की स्थापना हो पा रही है और न ही युवाओं को रोजगार उपलब्ध हो पा रहा है।

उद्योग विहार के बड़े हिस्से पर कब्जा जमाने वालों के खिलाफ एकेव्हीएन के अधिकारियों ने कार्रवाई के तहत नोटिस जारी करने सहित अन्य प्रक्रिया शुरू तो की लेकिन नतीजा सिफर है। कुछ मामलों में शासन स्तर पर अपील में चल रहे हैं तो कुछ कानूनी दावपेंच में फंसकर रह गए हैं। अधिकारियों की सारी कवायद केवल कागज तक सीमित होकर रह गई है।

विभागीय साठगांठ से अधूरे पड़े प्रोजेक्ट

उद्योग विहार में कुछ ऐसे भी उद्योग हैं, जो कई एकड़ की भमि पर कब्जा जमाए बैठे हैं लेकिन उद्योग का संचालन एक चौथाई हिस्से से भी कम जमीन पर हो रहा है। वैसे तो नियमों के अनुरूप किसी उद्योग के संचालन के लिए कुछ जमीन हरियाली क्षेत्र सहित अन्य अभिप्रायों के लिए छोड़ी जाती है लेकिन निर्धारित नियमों की आड़ में उद्योग संचालक कई गुना जमीन पर कब्जा जमाए बैठे हैं। हवाला उस प्रोजेक्ट का देते हैं, जो पिछले कई वर्षों से पूरा नहीं हो पाया है।

फैक्ट फाइल

  • 50 एकड़ से अधिक जमीन का उपयोग नहीं
  • 5.5 करोड़ की लीज डीड में आवंटन
  • 200 करोड़ जमीनों की है सामान्य कीमत
  • बीटीएल को आवंटित 80 एकड़ भूमि, पांच एकड़ का हो रहा उपयोग।
  • बिरला एरिक्शन को आवंटित 13 एकड़ भूमि, सात एकड़ का हो रहा उपयोग।
  • उद्योग स्थापना के लिए प्रस्तावित 14 एकड़ में प्लाट आवंटन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है लेकिन पूंजीपतियों की कवायद धीमी है।
  • औद्योगिक कर्मचारी सुविधा के नाम पर आरक्षित 4 एकड़ का भी कोई उपयोग नहीं।
  • कानूनी दावपेंच में फंसी आधा दर्जन कंपनियों की 2.6 एकड़ भूमि अनुपयोगी साबित होकर रह गई है।

उद्योग विहार की आवंटित जमीन पर सतत निगरानी की जा रही है। कई लोगों को नोटिस भी दिया गया है। अभी हमने 14 उद्यमियों को जमीन दी है। कुछ ऐसे उद्योगपति हैं जिन्होंने उद्योग नहीं लगाया। उन्हें नोटिस दी गई थी परंतु कहीं न कहीं से अपनी सिफारिश लगा लेते हैं। अभी उद्योग विहार चोरहटा में 108 उद्योग चालू हैं।

उदयकांत तिवारी, महाप्रबंधक एमपीआईडीसी

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