कमिश्नर ने जताई कड़ी नाराजगी
By: Gulab rohit
Nov 23, 202510:28 PM
भोपाल। भोपाल में नए विसर्जन घाटों के निर्माण को लेकर नगर निगम की बड़ी लापरवाही सामने आई है। झीलों में प्रदूषण रोकने के लिए जरूरी इस प्रोजेक्ट पर 20 करोड़ रुपये तो जुलाई में ही मंज़ूर कर दिए गए थे, लोकेशन भी फाइनल हो चुकी थीं, लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी एक भी साइट पर कंक्रीट तक नहीं डाला गया। समीक्षा बैठक में यह मामला खुलने पर नगर निगम कमिश्नर संस्कृति जैन नाराज हो गईं।
NGT की रोक के बाद तुरंत वैकल्पिक घाट जरूरी थे
हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भोपाल की झीलों में मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाई है। इसके बाद शहर पर वैकल्पिक विसर्जन स्थल तैयार करने का दबाव बढ़ गया था। जुलाई में हुई परिषद बैठक में नगर निगम ने BU कैंपस, नीलबध, संजीव नगर, मालीखेड़ी और प्रेमपुरा में नए घाट बनाने की मंज़ूरी दी थी, ताकि त्योहारों के दौरान झीलों पर अतिरिक्त भार न पड़े।
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जगहों का चयन हो चुका, डीपीआर तैयार… पर साइट पर सन्नाटा
लेक कंजर्वेशन सेल के मुताबिक सभी लोकेशन की फील्ड विजिट हो चुकी थी। प्रोजेक्ट की डीपीआर भी तैयार है। प्रस्ताव की शुरुआत तत्कालीन इंचार्ज प्रोजेक्ट इंजीनियर प्रमोद मालवीय ने की थी, लेकिन बजट पास होने के बाद जिम्मेदारी असिस्टेंट इंजीनियर बृजेश कौशल को सौंप दी गई। इसके बाद से चार महीने तक फाइलें ही आगे-पीछे होती रहीं, लेकिन जमीन पर कोई हलचल नहीं हुई।
कमिश्नर ने मांगा जवाब, इंजीनियर नहीं दे पाए ठोस वजह
कमिश्नर ने जब प्रोजेक्ट की प्रोग्रेस पूछी, तो कौशल कोई स्पष्ट कारण नहीं बता सके। न टेंडर की स्थिति स्पष्ट थी, न निर्माण का टाइमलाइन। उनके जवाबों से नाराज़ होकर कमिश्नर ने फटकार लगाते हुए निर्देश दिया कि काम को तुरंत शुरू किया जाए और सप्ताह भर में पूरी प्रोग्रेस रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
त्योहार करीब, निगम पर बढ़ा दबाव
अब नगर निगम पर घाटों को समय रहते तैयार करने का दबाव बढ़ गया है। आने वाले त्योहारों में शहर में हजारों प्रतिमाओं का विसर्जन होता है। झीलों में प्रतिबंध के बाद विकल्प तैयार न होना शहर की सबसे बड़ी समस्या बन सकता है। निगम अफसरों की देरी से न सिर्फ NGT के निर्देशों का पालन प्रभावित हो रहा है, बल्कि झीलों के संरक्षण से जुड़ा सबसे अहम प्रोजेक्ट भी अटक गया है। शहरवासी भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि इस बार विसर्जन घाट समय से तैयार हों, ताकि झीलों पर प्रदूषण का भार कम हो सके।