केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है, जबकि बिहार में इंडिया गठबंधन ने चक्का जाम का ऐलान किया है। ट्रेड यूनियंस के 25 करोड़ श्रमिकों को लेकर भारत बंद की कमान संभाले हुए हैं। वहीं बिहार में विपक्षी दलों ने मतदाता गहन पुनरीक्षण के खिलाफ चक्का जाम कर दिया है।
By: Arvind Mishra
Jul 09, 20259:44 AM
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है, जबकि बिहार में इंडिया गठबंधन ने चक्का जाम का ऐलान किया है। ट्रेड यूनियंस के 25 करोड़ श्रमिकों को लेकर भारत बंद की कमान संभाले हुए हैं। वहीं बिहार में विपक्षी दलों ने मतदाता गहन पुनरीक्षण के खिलाफ चक्का जाम कर दिया है। दरअसल, ट्रेड यूनियन और किसान संगठनों ने बुधवार को भारत बंद का आह्वान किया है। दावा किया जा रहा है कि देशभर में 25 करोड़ से अधिक लोग इस बंद में शामिल होंगे। इस बीच, बिहार में महागठबंधन ने वोटर लिस्ट मुद्दे पर चक्काजाम किया है। राहुल गांधी भी प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं। बिहार में कार्यकर्ताओं ने कई स्थानों पर ट्रेनों रोकीं और सड़क पर टायर जलाए।
नए श्रम कानूनों और निजीकरण के विरोध में यह हड़ताल की जा रही है। कर्मचारियों की हड़ताल से बैकिंग, डाक सेवाएं एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों जैसी सेवाएं बंद होने की संभावना है। श्रमिक संगठनों ने न्यूनतम मासिक वेतन 26 हजार करने और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने जैसी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के मकसद से देशव्यापी हड़ताल पर उतरे हैं।
दक्षिण भारत के कुछ राज्यों के साथ ही गैरभाजपा शासित राज्यों में असर दिखाई दे सकता है। चुनाव राज्य बिहार में भी आज कांग्रेस सहित महागठबंधन के दलों ने बंद बुलाया। बिहार की राजधानी पटना में होने वाले प्रदर्शन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हुए। मतदाता सूची के मुद्दे पर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली के विरोध में राहुल गांधी पटना में चुनाव आयोग के दफ्तर तक मार्च में शामिल होंगे।
इधर, पुडुचेरी और तमिलनाडु में पूर्ण बंद है। बताया जा रहा है कि बसों समेत सार्वजनिक परिवहन में व्यवधान के कारण शैक्षणिक संस्थानों को भी बंद रखने को कहा गया है। इससे पहले, एक श्रमिक संगठन के पदाधिकारी ने मंगलवार को कहा था कि आम हड़ताल से बैकिंग, बीमा, डाक, कोयला खनन, राजमार्ग और निर्माण जैसे क्षेत्रों में सेवाएं बाधित हो सकती हैं।
सीटू, इंटक और एटक जैसे केंद्रीय श्रमिक संगठन चार श्रम संहिताओं को हटाने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण, ठेका व्यवस्था खत्म करने, न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 26,000 रुपए प्रति माह करने के साथ ही किसान संगठनों की एमएसपी और ऋण माफी की मांग की है।
भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस, अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिंद मजदूर सभा, भारतीय ट्रेड यूनियनों का केंद्र, अखिल भारतीय संयुक्त ट्रेड यूनियन केंद्र, ट्रेड यूनियन समन्वय केंद्र, स्व-नियोजित महिला संघ,अखिल भारतीय केंद्रीय ट्रेड यूनियन परिषद, श्रम प्रगतिशील महासंघ और संयुक्त ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने हड़ताल का समर्थन किया है।