मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह के कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए शर्मनाक बयान के बाद स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई अदालती कार्रवाई बंद कर दी है।
By: Arvind Mishra
Jun 17, 20252 hours ago
भोपाल। स्टार समाचार बेव
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह के कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए शर्मनाक बयान के बाद स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई अदालती कार्रवाई बंद कर दी है। सर्वोच्च न्यायालय में उक्त मामले में सुनवाई लंबित है और सर्वोच्च न्यायालय ने 28 मई को हाईकोर्ट को ओदश दिया था कि मंत्री विजय खिलाफ के खिलाफ कार्रवाई बंद कर दें। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस एके सिंह की युगलपीठ ने मामला समाप्त कर दिया। दरअसल, मामला अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। इससे पहले न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल व न्यायमूर्ति अवनींद्र कुमार सिंह की युगलपीठ ने मंत्री के बयान को गटर छाप बताते हुए मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी। हाई कोर्ट ने मंत्री के विरुद्ध तत्काल एफआईआर दर्ज करने के निर्देश डीजीपी को दिए थे। इसके बाद मानपुर थाने में मंत्री के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई। अगले दिन सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सरकार द्वारा दर्ज की गई एफआइआर को कमजोर व असंतोषजनक निरूपित किया था।
गौरतलब है कि मंत्री विजय शाह द्वारा महू के अंबेडकर नगर के रायकुंडा गांव में एक सार्वजनिक समारोह में दिए बयान पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ खिलाफ 14 मई को बीएनएस की धारा 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) के अंतर्गत शाम तक एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे।
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि मंत्री विजय शाह ने भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया है। मंत्री विजय शाह ने आमसभा में कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ गटर भाषा का इस्तेमाल किया है। उनका बयान प्रथम दृष्टया मुस्लिम धर्म के सदस्यों और अन्य व्यक्तियों के बीच वैमनस्य और दुश्मनी या घृणा या दुर्भावना पैदा करने की प्रवृत्ति का है।
याचिका पर अगले दिन 15 मई को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया था कि प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह के खिलाफ दर्ज एफआईआर में उनके द्वारा किए गए अपराध का विवरण का उल्लेख नहीं किया है। युगलपीठ ने पुलिस की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि एफआईआर ऐसे कंटेंट के साथ लिखी गई है,जो चुनौती देने पर निरस्त हो जाए।
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार को निर्देशित किया है कि अपराध के विवरण का उल्लेख करते हुए दुबारा एफआईआर दर्ज की जाए। इसके पीछे कौन जिम्मेदार दोषी है, भविष्य की कार्यवाही के न्यायालय यह जानने का प्रयास करेगा। युगलपीठ ने आपने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट द्वारा एफआईआर दर्ज किये जाने के पूरे आदेश को सभी न्यायिक, अर्ध-न्यायिक और जांच प्रक्रिया में पैराग्राफ 12 के हिस्से के रूप में पढ़ा जाएगा। एफआईआर को देखते हुए न्यायालय मामले की निगरानी करेगा।