उज्जैन में गुलाब जामुन खिलाकर शुरू हुई बिक्री; दांतों से पता चलता है कौन कितना दमदार
By: Gulab rohit
Nov 04, 20259:54 PM
उज्जैन। कार्तिक माह में लगने वाला उज्जैन का मशहूर गधों का पारंपरिक मेला इस साल भी पूरे उत्साह के साथ शुरू हो गया है। परंपरानुसार गधों को गुलाब जामुन खिलाकर और पूजा-अर्चना कर मेले की शुरुआत की गई। इस बार मेले में देशभर से 500 से अधिक गधे और करीब 200 घोड़े बिक्री के लिए पहुंचे हैं। मेला एक नवंबर से शुरू हुआ है।
हर साल की तरह इस बार भी मेले में आए गधों के दिलचस्प और ट्रेंडिंग नाम लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। किसी गधे का नाम सलमान, शाहरुख, ऐश्वर्या, जैकलीन, शबनम रखा गया है तो कुछ गधे तेजस्वी और ओवैसी नाम से भी बिकने आए हैं। मेला प्रभारी कैलाश प्रजापत के अनुसार, हर साल मौजूदा ट्रेंड या चर्चा में रहे नामों पर गधों के नाम रखे जाते हैं ताकि ग्राहक आकर्षित हों।
बिहार चुनाव और बॉलीवुड का असर
इस बार मेले में बिहार चुनाव का असर भी देखा गया। कुछ गधों के नाम तेजस्वी और ओवैसी रखे गए हैं। वहीं, फिल्मों की लोकप्रियता को देखते हुए ‘पुष्पा’ नाम का गधा भी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। व्यापारी बताते हैं कि नाम सिर्फ ग्राहकों को आकर्षित करने की रणनीति है ताकि खरीदार गधे को रुककर अच्छे से परख सकें। इसलिए गधों की पीठ पर नाम लिख दिया जाता है।
कीमत 4 हजार से 15 हजार रुपए तक
इस मेले में गधों की कीमत 4 हजार से 15 हजार रुपए तक बताई जा रही है। वहीं छोटे घोड़े 10 हजार से 20 हजार रुपए तक में बिक रहे हैं। व्यापारी बबलू प्रजापति ने बताया कि गधे शाजापुर, सुसनेर, मक्सी, सारंगपुर, भोपाल सहित राजस्थान और महाराष्ट्र से लाए गए हैं, जबकि घोड़े अमरावती, अरनी, मालेगांव और सिरपुर से आए हैं।
दांत देखकर तय होती है कीमत
मेले में बड़ी संख्या में पशुपालक और खरीदार पहुंचे हैं। पशुपालकों के अनुसार, गधों के दांत देखकर उनकी उम्र और ताकत का अंदाजा लगाया जाता है, इसी आधार पर उनकी कीमत तय होती है।
गांवों में आज भी काम के साथी हैं गधे
गधों का यह मेला न केवल परंपरा का प्रतीक है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का भी अहम हिस्सा है। आज भी गधे निर्माण कार्यों, ईंट-भट्टों, और सामान ढोने जैसे कामों में सबसे सस्ता और भरोसेमंद साधन माने जाते हैं।