गंजबासौदा। नगर में बिजली उपभोक्ता पिछले छह महीनों से बिजली की अघोषित कटीती, मेंटेनेंस, ट्रिपिंग और फाल्ट के नाम पर हो रही कटौती से त्रस्त हैं। गर्मी और बरसात का मौसम बीत जाने के बाद भी दिन में कई बार बिजली काटी जा रही है। इतना ही नहीं, हर रविवार को चार घंटे तक सप्लाई रोकना अब कंपनी की "नियमित परंपरा बन चुकी है। हैरानी की बात यह है कि बिजली गुल रहने के बावजूद उपभोक्ताओं के बिलों में कोई कमी नहीं आ रही। उपभोक्ताओं को उतना ही बिल मिल रहा है, जितना बिना कटौती के समय में आता था। वार्ड 11 निवासी रमेश शर्मा का कहना है कि उन्होंने मीटर खराब होने की शिकायत कई बार की। बड़ी मुश्किल से मीटर बदला गया। रीडिंग कम आई, लेकिन बिल में कोई अंतर नहीं पड़ा। उपभोक्ता घनश्याम गुप्ता का कहना है कि गर्मियों में बिजली अधिक उपयोग करने के बावजूद जितना बिल मिलता था, बरसात में बिजली कम उपयोग हुई और कटौती भी रही, फिर भी बिल में कोई अंतर नहीं। हर दिन दर्जनों उपभोक्ता कंपनी के अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ विदिशा जाओ, वहां शिकसरत करो कहकर पाल्ला झाड़ दिया जाता है।
स्मार्ट मीटर में भी 'खेल'
कंपनी स्मार्ट मीटर लगवाकर उपभोक्ताओं से सौर ऊर्जा मात्र 3.25 रुपये प्रति यूनिट पर खरीद रही है, जबकि वहीं बिजली उपभोक्ताओं को चार अलग-अलग दरों पर बेच रही है। सुबह 6 से 9 बजे तक 5 रुपये प्रति यूनिट सुबह 9 से शाम 5 बजे तक 5 रुपये प्रति युनिट शाम 5 से रात 10 बजे तक 12 रुपये प्रति यूनिट रात 10 से सुबह 6 बजे तक 7 रुपये प्रति यूनिट यानी कंपनी सस्ती बिजली खरीदकर उनकी ही उपभोक्ता को कई गुना दाम पर बेच रही है।
जनता का सवाल
-जब बिजली कटौती हो रही है, तो बिलों में राहत क्यों नहीं? सोलर उपभोक्ताओं को जीरो बिल का लाभ क्यों नहीं मिल रहा ?
-कंपनी उपभोक्ता की बिजली सस्ते में खरीदकर महंगे दाम पर क्यों बेच रही है ? स्पष्ट है कि उपभोक्ताओं पर बिजली कंपनी की मनमानी का बोझ डाला जा रहा है। छह माह से जारी यह सिलसिला कब थमेगा, इस पर किसी अधिकारी के पास जवाब नहीं है।
सोलर उपभोक्ता सबसे ज्यादा परेशान
प्रधानमंत्री सौर ऊर्जा योजना से जुड़े नगर में 200 से ज्यादा उपभोक्ताओं ने लाखों रुपये खर्च कर सोलर प्लांट लगाए हैं। लेकिन उन्हें शुन्य बिल का लाभ नहीं मिल ने रहा। सौर ऊर्जा से दिन में बिजली बनने के बावजूद जैसे ही कंपनी की सप्लाई बंद होती है, सोलर सिस्टम भी बंद हो जाता है। उपभोक्ता दिनेश कंचन, भास्कर चतुर्वेदी और एसएन शर्मा का कहना है कि सप्लाई कटने पर वे न तो कंपनी को अतिरिक्त बिजली बेच पाते हैं और न ही रात के लिए बचा पाते हैं। नतीजतन, रात में उन्हें फिर कंपनी से महंगी बिजली खरीदनी पड़ती है। बिल जमा करना पड़ता है।
कंपनी के अफसर 'गायब'
जब कंपनी का पक्ष जानने की कोशिश की गई तो एई सनी वर्गीज का मोबाइल बंद मिला। जेई पवन कोरी ने कॉल रिसीव कर बीच में छोड़ दी और डीई राजू भामोर ने कॉल उठाना तक उचित नहीं समझा। उपभोक्ताओं का कहना है कि अफसरों से सीधे शिकायत करना अब नामुमकिन हो गया है।