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फैकल्टी फर्जीवाड़ा...एक प्रोफेसर का नाम तीन-तीन, चार-चार कॉलेजों में दर्ज

भोपाल के बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों में प्रोफेसरों की भर्ती को लेकर बड़ा और चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। निजी कॉलेजों की सूची आॅनलाइन अपडेट करने के बाद यह फर्जीवाड़ा सामने आया है। ऐसे में बीयू ने सख्त कदम उठाते हुए राजधानी भोपाल के 20 निजी कॉलेजों को नोटिस थमा दिया है।

By: Arvind Mishra

Jun 29, 20252:10 PM

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फैकल्टी फर्जीवाड़ा...एक प्रोफेसर का नाम तीन-तीन, चार-चार कॉलेजों में दर्ज

  • बीयू ने दिखाई सख्ती, भेजा नोटिस, जवाब नहीं देने पर समाप्त होगी संबद्धता

  • निजी कॉलेजों की लिस्ट आनलाइन अपडेट करने के बाद फर्जीवाड़ा उजागर

भोपाल। स्टार समाचार वेब

भोपाल के बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों में प्रोफेसरों की भर्ती को लेकर बड़ा और चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। निजी कॉलेजों की सूची आनलाइन अपडेट करने के बाद यह फर्जीवाड़ा सामने आया है। ऐसे में बीयू ने सख्त कदम उठाते हुए भोपाल के 20 निजी कॉलेजों को नोटिस थमा दिया है। इससे निजी कॉलेज संचालकों में हड़कंप मच गया है। दरअसल, राजधानी स्थित बरकतउल्ला विवि से संबद्ध निजी कॉलेजों में अब फैकल्टी फर्जीवाडे पर रोक लगने जा रही है। राजधानी के साथ प्रदेश भर से लगातार शिकायत आ रहीं थी कि एक शिक्षक तीन-तीन, चार-चार निजी कॉलेज में ‘नाम’ मात्र की सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे प्रोफेसरों को कॉलेज संचालक महीने में दो-चार हजार रुपए दे रहे हैं। उक्त फर्जीवाड़ा संज्ञान में आने के बाद बीयू प्रबंधन ने इसे लेकर सभी कॉलेजों को निर्देश दिया गया है कि पूरे फैकल्टी की फोटो युक्त जानकारी वेबसाइट पर अपलोड की जाए। एमबीए, लॉ और बीएड के 130 कॉलेजों में नियुक्त 3300 प्रोफेसरों का फोटोयुक्त डाटा विवि की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। यहां खास बात यह है कि इस तरह की व्यवस्था करने वाल बीयू प्रदेश का पहला विवि है। जहां निजी कॉलेजों के प्रोफेसरों का डाटा किसी स्वशासी विवि की वेबसाइट पर दिखाई देगा। बीयू प्रबंधन फैकल्टी की भर्ती को लेकर किए जा रहे फर्जीवाडेÞ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी जुट गया है। बीयू से संबद्ध 45 निजी कॉलेजों द्वारा प्रोफेसरों की भर्ती को लेकर किए जा रहे फर्जीवाडेÞ को लेकर उनकी संबद्धता समाप्त भी की जा सकती है। 

इस तरह हो रहा खेला

बताया जाता है कि निजी कॉलेजों में कोड-28 के तहत जिन प्रोफेसरों की भर्ती दर्शाई जाती है, उन्हें कॉलेज संचालक मात्र दो से पांच हजार रुपए महीने के हिसाब से मानदेय देते हैं और उनका वेतन 27 हजार तक बताते हैं। इसी तरह एक खेल और भी करते हैं। प्रोफेसरों को कॉजेज प्रबंधन द्वारा एटीएम भी उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन वो एटीएम संबंधित प्रोफेसर के पास नहीं, बल्कि कॉलेज संचालक स्वयं अपने पास रख लेते हैं। जब वेतन आता है तो तय वेतन देकर शेष राशि अपने पास रख लेते हैं।

भोपाल के दस कॉलेज

राजधानी भोपाल के 10 निजी कॉलेजों के भी नाम सामने आए हैं। इसमें एमके पोंडा कॉलेज, आईएसकाम कॉलेज, आनंद विहार महिला कॉलेज, राजीव गांधी विधि कॉलेज, टीआइटी कॉलेज, राजगढ़ का आदर्श महाविद्यालय सहित अन्य बीएड, एमबीए और विधि पाठ्यक्रम संचालित करने वाले कॉलेज हैं, जो प्रोफेसरों की भर्ती में फर्जीवाड़ा कर रहे हैं।

न्यायाधिकरण का गठन

बीयू प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है, जिसने निजी कालेजों से फैकल्टी का डेटा वेबसाइट पर अपलोड कराया। इसके बाद कालेजों द्वारा यह फर्जीवाड़ा सामने आया कि एक प्रोफेसर का नाम तीन-तीन,चार-चार कॉलेज में दर्ज है। वहीं कुछ प्रोफेसर उस कॉलेज में पढ़ा ही नहीं रहे हैं, लेकिन उनका नाम फैकल्टी की सूची में दर्ज किया गया। इसके लिए बीयू ने न्यायाधिकरण भी गठित किया।

बीयू ने किया जवाब-तलब

न्यायाधिकरण के अध्यक्ष डॉ. एसके मल्होत्रा ने 20 कॉलेजों को नोटिस देकर जवाब मांगा है। इसका निराकरण करने के लिए दो दिन सुनवाई हुई है। इसमें दर्जनभर कॉलेज हाजिर ही नहीं हुए। बीयू ने उन्हें नोटिस देकर जवाब-तलब किया है। अगर ये कॉलेज तय समय में संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए संबद्धता समाप्त होने के साथ ही उच्च शिक्षा विभाग से उनके खिलाफ मान्यता खत्म करने की अनुशंसा की जाएगी।  

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