राजस्थान के जयपुर के सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में रविवार देर रात आग लग गई। जहां आठ मरीजों की मौत हो गई। इनमें तीन महिलाएं शामिल हैं। आग रात 11:30 बजे ट्रॉमा सेंटर में न्यूरो आईसीयू वार्ड के स्टोर में लगी। यहां पेपर, आईसीयू का सामान और ब्लड सैंपलर ट्यूब रखे थे।
By: Arvind Mishra
Oct 06, 20259:52 AM
जयपुर। स्टार समाचार वेब
राजस्थान के जयपुर के सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में रविवार देर रात आग लग गई। जहां आठ मरीजों की मौत हो गई। इनमें तीन महिलाएं शामिल हैं। आग रात 11:30 बजे ट्रॉमा सेंटर में न्यूरो आईसीयू वार्ड के स्टोर में लगी। यहां पेपर, आईसीयू का सामान और ब्लड सैंपलर ट्यूब रखे थे। अस्पताल प्रबंधन शॉर्ट सर्किट से आग लगने का दावा कर है। हादसे के समय आईसीयू में 11 मरीज थे। उधर, इस अग्निकांड की जांच के लिए शासन स्तर पर छह सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया है। दरअसल, जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में आग ने आठ जिंदगी लील ली। मृतकों के परिजनों की आपबीती झकझोर देने वाली है। एसएमएस में लोग देश के अलग-अलग हिस्सों- आगरा, जयपुर और भरतपुर से इलाज कराने पहुंचे थे, लेकिन अस्पताल में लगी आग ने उनकी जान ले ली।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रविवार रात करीब रात 11:30 ट्रॉमा बिल्डिंग के सेकंड फ्लोर पर स्थित न्यूरो वार्ड के स्टोर से धुआं निकलना शुरू हुआ था। इस बारे में मरीजों ने स्टाफ को सूचना दी, लेकिन धुआं इतनी तेजी से फैला कि स्टाफ और मरीज भागने को मजबूर हो गए।

ट्रॉमा सेंटर में हादसे के वक्त 210 मरीज भर्ती थे, जिनमें से चार आईसीयू में 40 मरीज थे। रात के समय हर आईसीयू में केवल एक स्टाफ सदस्य होता है, जो इस घटना में भाग गया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। ट्रॉमा आईसीयू में 11 और सेमी-आईसीयू में 13 मरीज थे। आग तेजी से फैली और जहरीली गैसें निकलने लगीं, जिससे अधिकांश गंभीर और कोमा में पड़े मरीजों को बचाना मुश्किल हो गया। अस्पताल स्टाफ, नर्सिंग आॅफिसर और वार्ड बॉयज ने ट्रॉली पर मरीजों को उठाकर बाहर निकाला, लेकिन 6 मरीजों को सीपीआर के बावजूद बचाया नहीं जा सका।
मृतकों में आगरा से इलाज के लिए आईं 40 वर्षीय सर्वेश देवी शामिल हैं, जिनकी मौत धुएं से दम घुटने से हुई। जयपुर जिले के आंधी के रहने वाले शेर सिंह ने बताया कि आग लगने पर सब भाग गए तो उन्होंने अपनी मां को उठाकर बाहर लाया, लेकिन तब तक वह मर चुकी थीं। शेर सिंह सदमे में हैं।
वहीं, सवाई माधोपुर के बौली निवासी दिगंबर वर्मा एक्सीडेंट केस में भर्ती थे, उनकी मौत भगदड़ में अस्पताल के बाहर हो गई, लेकिन अस्पताल प्रशासन इसे अग्निकांड से अलग बता रहा है। अन्य मृतक पिंटू (सीकर), दिलीप (आंधी, जयपुर), श्रीनाथ, रुकमिणी, खुदरा (सभी भरतपुर) और बहादुर (संगानेर, जयपुर) हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। जांच के लिए एक समिति की घोषणा की गई है। समिति की अध्यक्षता चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त इकबाल खान करेंगे। ये समिति आग के कारणों, अस्पताल प्रबंधन की प्रतिक्रिया, ट्रॉमा सेंटर और एसएमएस अस्पताल में अग्निशमन व्यवस्था, आग लगने की स्थिति में मरीजों की सुरक्षा और निकासी, तथा भविष्य में ऐसी आग की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए अस्पताल को सुरक्षित रखने के उपायों की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
जयपुर पुलिस कमिश्नर बिजू जॉर्ज जोसेफ ने कहा कि एफएसएल टीम की जांच से आग का सटीक कारण पता चलेगा, लेकिन प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट संदिग्ध है। आठ लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में रखवा दिया गया है। बाकी मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया है।
एसएमएस ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज अनुराग धाकड़ ने बताया कि आग ट्रॉमा आईसीयू में शॉर्ट सर्किट से लगी जो तेजी से फैली गई। स्टाफ ने 24 मरीजों को बचाया, लेकिन 7 गंभीर मरीज बच नहीं सके। चार मरीज अभी भी गंभीर हैं। पीड़ितों के परिजनों ने स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया है। एक परिजन ने कहा कि चिंगारी दिखने पर डॉक्टरों को 4-5 बार बताया, लेकिन उन्होंने इसे सामान्य बताया। आग लगने पर स्टाफ भाग गया, फायर एक्सटिंग्विशर या पानी की व्यवस्था नहीं थी।