नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के दौरान बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) की मृत्यु पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। न्यायालय ने आदेश दिया है कि BLOs पर काम का बोझ कम किया जाए और यह राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। शीर्ष अदालत ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे पर्याप्त अतिरिक्त कर्मचारी नियुक्त करें, ताकि मौजूदा BLOs के कार्य के घंटे और कार्यभार आनुपातिक रूप से कम हो सकें।
हाइलाइट्स
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सुप्रीम कोर्ट ने BLOs पर बढ़ते कार्यभार पर गंभीर चिंता जताते हुए राज्यों को अतिरिक्त कर्मचारी नियुक्त करने का आदेश दिया।
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न्यायालय ने कहा—BLOs राज्य सरकारों के कर्मचारी हैं, इसलिए वैकल्पिक स्टाफ की व्यवस्था करना राज्यों की जिम्मेदारी है।
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SIR प्रक्रिया के दौरान 35–40 BLOs की कथित मृत्यु के मुद्दे पर अदालत ने राजनीतिक दल द्वारा लगाए गए आरोपों को स्वीकार नहीं किया।
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कोर्ट ने निर्देश दिया कि आवश्यकता अनुसार कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाए और विशेष परिस्थितियों वाले कर्मचारियों को मामले-दर-मामला राहत दी जा सकती है।
बीएलओ का पूरा ख्याल रखें सरकारें
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह एक वैधानिक कार्य है, जिसके लिए राज्य सरकारें वर्कफ़ोर्स उपलब्ध कराएंगी। मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि BLOs राज्य सरकार के कर्मचारी हैं, और यदि कोई बीमार या ड्यूटी के लिए असमर्थ है, तो राज्य वैकल्पिक कर्मचारी तैनात कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन कर्मचारियों के पास ड्यूटी से छूट का कोई विशेष कारण है, संबंधित अधिकारी मामले-दर-मामले आधार पर इस पर विचार कर सकते हैं। न्यायालय ने जोर देकर कहा कि कर्मचारियों की संख्या आवश्यकतानुसार बढ़ाई जा सकती है।
आरोपों को स्वीकार नहीं किया कोर्ट ने
तमिलनाडु के राजनीतिक दल टीवीके (TVK) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह दलील दी गई थी कि SIR प्रक्रिया के दौरान अत्यधिक दबाव के कारण विभिन्न राज्यों में 35-40 BLOs की मृत्यु हुई है, जिसके लिए मुआवजे की मांग की गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग पर लगाए गए याचिकाकर्ता के आरोपों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।