झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे। उन्होंने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में आखिरी सांस ली।
By: Arvind Mishra
Aug 04, 202510:16 AM
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
झारखंड के पूर्व सीएम और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे। उन्होंने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में आखिरी सांस ली। शिबू सोरेन को जुलाई में किडनी से जुड़ी समस्या की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी तबियत नाजुक होने की वजह से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। शिबू सोरेन के निधन पर उनके बेटे हेमंत सोरेन ने कहा-आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं। इधर,राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कई अन्य प्रमुख नेताओं ने शिबू सोरेन के निधन पर शोक व्यक्त किया है। झारखंड में उनके समर्थकों और झामुमो कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई है। राज्य सरकार ने उनके सम्मान में सात दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दिल्ली में सर गंगाराम अस्पताल जाकर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने शिबू के बेटे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सांत्वना भी दी। पीएम मोदी ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा- झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। दुख की इस घड़ी में उनके परिजनों से मिलकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उनका पूरा जीवन जनजातीय समाज के कल्याण के लिए समर्पित रहा, जिसके लिए वे सदैव याद किए जाएंगे।
शिबू सोरेन पिछले 38 सालों से झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख नेता थे। उन्हें पार्टी के संस्थापक संरक्षक के रूप में जाना जाता था। पूर्व मुख्यमंत्री सोरेन का जन्म 11 जनवरी, 1944 को बिहार अब झारखंड के हजारीबाग में हुआ था। उन्हें दिशोम गुरु और गुरुजी के नाम से भी जनता के बीच जाना जाता रहा। उन्होंने शुरुआत में आदिवासियों के शोषण के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने 70 के दशक में धनकटनी आंदोलन और अन्य आंदोलनों के जरिए आदिवासी समाज की आवाज बुलंद की।
बिहार से अलग राज्य झारखंड बनाने के आंदोलन में भी उनका निर्णायक भूमिका रही है। वे तीन बार (2005, 2008, 2009) झारखंड के मुख्यमंत्री बने, लेकिन एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। वह यूपीए के पहले कार्यकाल में कोयला मंत्री बने थे, लेकिन उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। पिता शोभराम सोरेन कि हत्या के बाद शिबू सोरेन ने राजनीति में कदम रखा था।
शिबू सोरेन ने पहली बार 1977 में लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन 1980 में उन्हें सफलता मिली थी। इसके बाद 1986, 1989, 1991, 1996 में भी वो चुनाव जीते थे। 2004 में वे दुमका से लोकसभा के लिए चुने गए थे। शिबू सोरेन झारखंड के सीएम भी रहे हैं। अब उनके बेटे हेमंत सोरेन राज्य के सीएम हैं।
शिबू सोरेन के निधन पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संवेदना जताते हुए कहा कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के वरिष्ठतम नेताओं में से एक शिबू सोरेन जी झारखंड के उन कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे, जिन्होंने समाज के कमजोर वर्गों विशेष रूप से जनजातीय समाज के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण के लिए आजीवन संघर्ष किया। वे हमेशा जमीन और जनता से जुड़े रहे। मेरा भी उनसे लंबा परिचय रहा। उनके निधन से मुझे बहुत दुख हुआ है। उनके परिवार एवं समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं...ओम शांति!
शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर आज शाम छह बजे झारखंड लाया जाएगा। उनका पार्थिव शरीर सबसे पहले रांची के मोरहाबादी स्थित आवास पर लाया जाएगा। मंगलवार सुबह झामुमो के पार्टी कार्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। इसके बाद पार्थिव शरीर को झारखंड विधानसभा ले जाया जाएगा, जहां जनप्रतिनिधि और अधिकारी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। अंतिम संस्कार दोपहर तीन बजे उनके पैतृक गांव रामगढ़ जिले के नेमरा में किया जाएगा।