मध्यप्रदेश के ग्वालियर में महिला पार्षदों के स्थान पर बैठक में उनके पतियों के बोलने का मामला सामने आया है। कलेक्टर को जब पता चला कि वह महिला पार्षदों के पति हैं, तो उन्हें फटकार लगाई और दर्शक दीर्घा में बैठा दिया। ग्वालियर में जिला कलेक्टर रुचिका चौहान की बुलाई गई बैठक में महिला पार्षदों की जगह उनके पति पहुंच गए।
By: Arvind Mishra
Sep 23, 2025just now
ग्वालियर। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश के ग्वालियर में महिला पार्षदों के स्थान पर बैठक में उनके पतियों के बोलने का मामला सामने आया है। कलेक्टर को जब पता चला कि वह महिला पार्षदों के पति हैं, तो उन्हें फटकार लगाई और दर्शक दीर्घा में बैठा दिया। दरअसल, ग्वालियर में जिला कलेक्टर रुचिका चौहान की बुलाई गई बैठक में महिला पार्षदों की जगह उनके पति पहुंच गए। महिला पार्षदों के स्थान पर उनके पतियों को देखकर कलेक्टर रुचिका ने नाराजगी जताई और पार्षद पतियों को मीटिंग से उठाकर दर्शक दीर्घा में बैठने को कह दिया। यह घटना बाल भवन में हुई, जहां शहर की समस्याओं पर चर्चा के लिए मीटिंग आयोजित की गई थी। इसमें स्वच्छता, सड़क और अन्य मुद्दों पर विचार-विमर्श होना था। मीटिंग में पार्षदों को आमंत्रित किया गया था, लेकिन कलेक्टर ने देखा कि कुछ महिला पार्षदों की जगह उनके पति बैठे हैं। इससे नाराज कलेक्टर ने पार्षद पतियों को फटकार लगाई और कहा- महिलाएं अब सशक्त हैं, उन्हें स्वयं अपना काम करने देना चाहिए। इसके बाद उन्होंने पार्षद पतियों को कुर्सी से उठाकर दर्शक दीर्घा में बैठा दिया।
बैठक में कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय बात कर रहे थे। कलेक्टर ने सड़कों को लेकर पार्षदों से बात की, तो पार्षद के लिए तय स्थान पर बैठे लोगों ने समस्या गिनाना शुरू कर दिया। कलेक्टर ने उन्हें बीच में रोका और परिचय पूछा तो उन्होंने बताया कि वे पार्षद पति हैं। इतना सुनकर कलेक्टर ने फटकार लगाई और पार्षदों के लिए निर्धारित स्थान से उठाकर दर्शक दीर्घा में बैठने को कहा।
कलेक्टर रुचिका ने कहा-ग्वालियर नगर निगम प्रदेश के प्रमुख नगर निगमों में शामिल है। सुबह की मीटिंग में कुछ महिलाएं और उनके पति शामिल थे। हमारा कहना है कि जो व्यवस्था तय की गई है, वह सोच-समझकर की गई है। यह जरूरी है कि महिलाएं जिस क्षेत्र में प्रतिनिधित्व करती हैं, वहां उपलब्ध समय में प्राप्त फीडबैक पर काम करें। महिलाओं को मीटिंग में स्वयं अपनी बात रखनी चाहिए, इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि महिलाओं को आरक्षण देने वाले विधेयकों के अनुसार, उन्हें अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और इसमें अपना योगदान देना चाहिए।