मध्यप्रदेश में मुफ्त राशन को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। खाद्य विभाग द्वारा कराई गई केवाईसी और बायोमेट्रिक जांच के बाद सामने आया कि 24 लाख लोग ऐसे थे, जो योजना के लिए पात्र नहीं थे, फिर भी सालों से फ्री राशन ले रहे थे। इन अपात्र लोगों को सूची से हटा दिया गया है। वहीं, 7.5 लाख नए हितग्राहियों का नाम जोड़ा गया है।
By: Arvind Mishra
Sep 23, 2025just now
भोपाल। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश में मुफ्त राशन को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। खाद्य विभाग द्वारा कराई गई केवाईसी और बायोमेट्रिक जांच के बाद सामने आया कि 24 लाख लोग ऐसे थे, जो योजना के लिए पात्र नहीं थे, फिर भी सालों से फ्री राशन ले रहे थे। इन अपात्र लोगों को सूची से हटा दिया गया है। वहीं, 7.5 लाख नए हितग्राहियों का नाम जोड़ा गया है। जिन्हें अब मुफ्त राशन का लाभ मिलेगा। दावा किया जा रहा है कि जनवरी 2025 तक मध्यप्रदेश में राशन कार्डधारकों की संख्या 5.49 करोड़ तक पहुंच गई थी। यह आंकड़ा हैरान करने वाला था, क्योंकि राज्य की जनसंख्या के अनुपात में लाभार्थियों की संख्या काफी अधिक थी। इसी वजह से खाद्य विभाग ने हर कार्डधारक की केवाईसी अनिवार्य की। इस प्रक्रिया में पता चला कि लाखों लोग गलत तरीके से इस सुविधा का फायदा उठा रहे थे।
जांच के दौरान कई तरह की गड़बड़ियां सामने आईं। कुछ परिवारों के नाम दो अलग-अलग राशन दुकानों पर दर्ज मिले। कई लाभार्थी जिनकी मृत्यु हो चुकी थी, उनके नाम से अब भी राशन लिया जा रहा था। वहीं, राज्य से बाहर जा चुके लोगों के नाम सूची में सक्रिय थे। ऐसे मामले भी सामने आए जहां महिलाएं या लड़कियां शादी के बाद दूसरे राज्यों में रहने लगीं, लेकिन उनके नाम से यहां राशन लिया जा रहा था। अब इन सभी डुप्लीकेट और अपात्रों को सूची से हटा दिया गया है।
मध्यप्रदेश में मुफ्त राशन योजना के तहत हर साल 30 लाख टन अनाज पीडीएस के माध्यम से गरीब हितग्राहियों में वितरित किया जाता है। यह अनाज गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए होता है। लेकिन अपात्र लोग सालों से इसका हिस्सा उठा रहे थे। अब सूची से बाहर किए जाने के बाद असली पात्रों को राहत मिलेगी।
केंद्र सरकार ने भी मध्यप्रदेश को एक सूची भेजी है, जिसमें 1.75 लाख अपात्रों के नाम शामिल हैं। यह वे लोग हैं जिनकी सालाना आय 6 लाख रुपए से अधिक है, जो इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैं या फिर किसी कंपनी में डायरेक्टर हैं। जीएसटी रिटर्न में जिनका टर्नओवर 25 लाख से ज्यादा है, वे भी सूची में पाए गए हैं। खाद्य विभाग ने सभी को नोटिस भेजा है और जवाब मिलने के बाद इन्हें योजना से बाहर किया जाएगा।
मध्यप्रदेश में अब तक 93 प्रतिशत लोगों की केवाईसी हो चुकी है। शेष का सत्यापन भी इसी साल कर लिया जाएगा। सितंबर तक लंबित सभी आवेदन तलब किए गए हैं। नए हितग्राहियों के नाम सूची में जोड़े जा रहे हैं। अपात्रों की जगह वास्तविक जरूरतमंदों को योजना से जोड़ा गया है।
कर्मवीर शर्मा, आयुक्त, मप्र खाद्य विभाग