क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में भारत ने नया मुकाम हासिल किया है। 2014 में जहां केवल 11 भारतीय विवि इस वैश्विक सूची में शामिल थे। वहीं आज यह संख्या पांच गुना बढ़कर 54 हो गई है।
By: Arvind Mishra
Jun 19, 20251:17 PM
नई दिल्ली। स्टार समाचार बेव
क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में भारत ने नया मुकाम हासिल किया है। इस बार 54 भारतीय संस्थानों को वैश्विक सूची में स्थान मिला है, जो अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। दरअसल, भारत ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नया ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया है। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में इस बार 54 भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों ने जगह बनाई है। यह अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को दी। प्रधान ने कहा कि 2014 में जहां केवल 11 भारतीय विवि इस वैश्विक सूची में शामिल थे। वहीं आज यह संख्या पांच गुना बढ़कर 54 हो गई है। उन्होंने इसे पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले एक दशक में लागू की गई शिक्षा सुधार नीतियों और नई शिक्षा नीति 2020 का नतीजा बताया।
इस साल की रैंकिंग में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली को 123वां स्थान मिला है, जो भारत का सर्वोच्च स्थान है। इसके अलावा कई अन्य आईआईटी और प्रमुख विश्वविद्यालयों ने भी उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है।
इस साल भारत से 8 नए संस्थानों को पहली बार रैंकिंग में शामिल किया गया है, जिससे कुल संख्या 54 तक पहुंची है। अब भारत इस सूची में अमेरिका (192), यूके (90), और चीन (72) के बाद चौथा सबसे बड़ा प्रतिनिधित्व वाला देश बन चुका है। किसी भी अन्य देश ने इस साल दर रैंकिंग में इतनी अधिक संख्या में संस्थानों को शामिल नहीं किया है। जॉर्डन और अजरबैजान क्रमश: छह-छह नए संस्थानों के साथ भारत के बाद दूसरे स्थान पर हैं।
क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग का प्रकाशन लंदन स्थित वैश्विक उच्च शिक्षा विश्लेषण फर्म क्यूएस द्वारा किया जाता है। यह रैंकिंग कई मानकों (जैसे- अकादमिक प्रतिष्ठा, फैकल्टी-स्टूडेंट अनुपात, शोध प्रभाव, अंतरराष्ट्रीय छात्रों की उपस्थिति और स्नातकों की रोजगार क्षमता) पर आधारित होती है।
क्यूएस वर्ल्ड विवि रैंकिंग 2026 में रिकॉर्ड 54 संस्थानों की भागीदारी भारत की शिक्षा प्रणाली में आए परिवर्तन और प्रगति का प्रमाण है। यह सिर्फ बदलाव नहीं, बल्कि एक शैक्षिक क्रांति है। भारत अब जी-20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ती शिक्षा प्रणाली है। अमेरिका, यूके और चीन के बाद चौथा सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाला देश बन चुका है।
धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय शिक्षा मंत्री