स्विस बैंकों में भारतीयों का जमा धन 2023 की तुलना में 2024 में तीन गुना बढ़कर 3.5 अरब स्विस फ्रैंक (लगभग 37,600 करोड़ रुपए) हो गया। स्थानीय शाखाओं और अन्य वित्तीय संस्थानों के माध्यम से स्विस बैंकों में रखे गए धन में भारी वृद्धि के कारण यह बढ़ोतरी हुई।
By: Arvind Mishra
Jun 20, 20258 hours ago
नई दिल्ली। स्टार समाचार बेव
स्विस बैंकों में भारतीयों का जमा धन 2023 की तुलना में 2024 में तीन गुना बढ़कर 3.5 अरब स्विस फ्रैंक (लगभग 37,600 करोड़ रुपए) हो गया। स्थानीय शाखाओं और अन्य वित्तीय संस्थानों के माध्यम से स्विस बैंकों में रखे गए धन में भारी वृद्धि के कारण यह बढ़ोतरी हुई। 2023 में यह रकम चार वर्ष के निम्नतम स्तर 1.04 अरब स्विस फ्रैंक हो गई थी। दरअसल, केंद्र सरकार काला धन पर शिकंजा करने का लाख दावा भले कर ले, लेकिन स्विस बैंक में भारतीयों के पैसों में जिस तरह से बेतहाशा वृद्धि हो रही है, वह चौंकाने वाला है। एक रिपोर्ट के मुताबिक स्विटजरलैंड के बैंकों में भारतीयों का पैसा 2024 में तीन गुना से ज्यादा बढ़ गया है। यह लगभग 37,600 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। स्विस बैंक के आंकड़ों के अनुसार, यह 2021 के बाद सबसे ज्यादा है। स्विस बैंकों में जमा धन के मामले में भारत पिछले साल के 67वें स्थान से बढ़कर 48वें स्थान पर पहुंच गया है।
पाकिस्तान की जमा राशि में गिरावट आई है, जबकि बांग्लादेश की जमा राशि में वृद्धि हुई है। पाकिस्तान की बात करें तो एसएनबी में उसकी जमा राशि घटकर 272 मिलियन स्विस फ्रैंक रह गई है। वहीं, बांग्लादेश की जमा राशि बढ़कर 589 मिलियन स्विस फ्रैंक हो गई है।
ब्रिटेन सबसे ज्यादा 222 बिलियन स्विस फ्रैंक जमा करके टॉप पर है। वहीं, यानी सबसे ज्यादा पैसा ब्रिटेन का जमा है। अमेरिका 89 बिलियन फ्रैंक के साथ दूसरे स्थान पर है। वेस्ट इंडीज का 68 बिलियन डॉलर इस बैंक में जमा है।
बैंकों और वित्तीय संस्थानों के जरिए ज्यादा पैसा आने से यह उछाल आया है। व्यक्तिगत ग्राहकों की जमा धन में मामूली वृद्धि हुई है, जो 11 प्रतिशत बढ़कर सीएचएफ 346 मिलियन (3,675 करोड़) हो गई है। सीएचएफ स्विस फ्रैंक का शॉर्ट फॉर्म है, जो कि स्विटजरलैंट की करेंसी है। हालांकि, व्यक्तिगत ग्राहकों द्वारा जमा किए गए पैसे में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। यह सिर्फ 11 फीसदी बढ़ा है। व्यक्तिगत ग्राहक जमा में मामूली वृद्धि हुई, जो 11 फीसदी बढ़कर सीएचएफ 346 मिलियन हो गई। डेटा में यह जानकारी दी गई है।
2024 की तुलना में 2023 में इन फंडों में 70 फीसदी की गिरावट आई थी, जोकि चार साल के निचले स्तर पर यानी 1.04 बिलियन फ्रैंक पर पहुंच गया गया था। हालांकि, अभी भी यह 2006 के रिकॉर्ड सीएचएफ 6.5 बिलियन से कम है। लेकिन, यह दिखाता है कि संस्थागत माध्यमों से वित्तीय प्रवाह फिर से शुरू हो गया है। कुल सीएचएफ 3.54 बिलियन में से ज्यादातर पैसा दूसरे बैंकों के माध्यम से आया है। बाकी पैसा ग्राहक खातों, ट्रस्ट और बॉन्ड जैसे वित्तीय साधनों में है। मतलब साफ है कि भारत से पैसा फिर से स्विस बैंकों में जा रहा है।
स्विस बैंक ने एक बात साफ की है। उन्होंने बताया कि उनके आंकड़े सिर्फ स्विस बैंकों में भारतीय ग्राहकों की घोषित देनदारियों को दिखाते हैं। इसका मतलब है, ये आंकड़े उस पैसे को नहीं दिखाते जिसका कोई हिसाब नहीं है, जिसे अक्सर ब्लैक मनी कहा जाता है। बैंक ने यह भी कहा कि इन आंकड़ों में वो संपत्ति भी शामिल नहीं है जो भारतीयों या एनआरआई ने दूसरे देशों की कंपनियों के जरिये रखी है। स्विस अधिकारियों ने दोहराया कि वे भारत के साथ टैक्स चोरी रोकने में मदद करते रहेंगे। उन्होंने बताया कि 2018 से वित्तीय डेटा का अपने आप आदान-प्रदान हो रहा है। इसका मतलब है कि जानकारी अपने आप शेयर हो रही है। बैंक के अनुसार,आंकड़े घोषित देनदारियों को दिखाते हैं, ब्लैक मनी को नहीं।