इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास से बेहिसाबी नकदी बरामद होने के चर्चित केस में उन्हें दोषी ठहराने वाली आंतरिक समिति की रिपोर्ट को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
By: Arvind Mishra
Jul 18, 20259 hours ago
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास से बेहिसाबी नकदी बरामद होने के चर्चित केस में उन्हें दोषी ठहराने वाली आंतरिक समिति की रिपोर्ट को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब केंद्र सरकार वर्मा को पद से हटाने के लिए संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की योजना बना रही है। दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने उस जांच रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की है जिसमें उन्हें आधी जली नकदी मामले में दोषी पाया गया था। वर्मा ने कहा है कि उनके खिलाफ जो कार्रवाई की गई, वह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और उन्हें खुद को सही साबित करने का पूरा मौका नहीं दिया गया।
जस्टिस वर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर इनहाउस जांच समिति की रिपोर्ट को रद करने की मांग की है। यह रिपोर्ट 8 मई को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा तैयार की गई थी, जिसमें संसद से उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की गई थी।
अपनी याचिका में जस्टिस वर्मा ने कहा कि जांच प्रक्रिया में उनसे ही यह साबित करने को कहा गया कि वे निर्दोष हैं, जो कानून के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच समिति पहले से तय राय के साथ चली और तेजी से निष्कर्ण तक पहुंचने की कोशिश की गई।
तीन जजों की जांच समिति का नेतृत्व पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू ने किया था। जांच में पाया गया कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार का उस कमरे पर नियंत्रण था जहां आधी जली हुई बड़ी मात्रा में नकदी पाई गई थी। जांच समिति ने इस मामले में 10 दिनों तक जांच की और 55 गवाहों के बयान दर्ज किए।
घटनास्थल पर जाकर निरीक्षण किया गया और रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा की भूमिका को गंभीर बताते हुए हटाने की सिफारिश की गई। इसके आधार पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने राष्ट्रपति और पीएम को पत्र लिखकर महाभियोग की सिफारिश की थी।