देश का पहला इंटर स्टेट बाघ ट्रांसलोकेशन (अंतर-राज्यीय बाघ स्थानांतरण) का कार्य आखिरकार पूरा हो गया। अभियान के 24वें दिन पेंच प्रबंधन को चकमा दे रही बाघिन पीएन-224 को पकड़कर राजस्थान भेजने सफतलपूर्वक एयर लिफ्ट कर लिया गया है।
By: Arvind Mishra
Dec 22, 202510:30 AM

सिवनी। स्टार समाचार वेब
देश का पहला इंटर स्टेट बाघ ट्रांसलोकेशन (अंतर-राज्यीय बाघ स्थानांतरण) का कार्य आखिरकार पूरा हो गया। अभियान के 24वें दिन पेंच प्रबंधन को चकमा दे रही बाघिन पीएन-224 को पकड़कर राजस्थान भेजने सफतलपूर्वक एयर लिफ्ट कर लिया गया है। सुबह से दोपहर तक कई बार हाथियों से घेरने के बाद ट्रेंकुलाइज (बेहोश) की गई बाघिन को पिंजरे में कैद कर रेस्क्यू वाहन से सुकतरा हवाई पट्टी लाया गया। यहां भारतीय वायु सेना के हेलीकाप्टर एमआई-17 में पिंजरे सहित बाघिन को एयर लिफ्ट कर राजस्थान के विषधारी टाइगर रिजर्व शाम लगभग छह बजे रवाना किया गया। दरअसल, देश में पहली बार किसी टाइगर का हेलीकॉप्टर से इंटर स्टेट ट्रांस्लोकेशन पूरा हुआ। मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व की तीन साल की बाघिन (पीएन-224) को राजस्थान के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा।
सुधरेगा बाघों का जीन, बढ़ेगा कुनबा
ये पूरी कवायद राजस्थान में बाघों को जीन पूल सुधारने की कवायद है। राजस्थान में लगभग सभी बाघ एक ही जीन पूल के हैं, इसीलिए पेंच टाइगर रिजर्व से अलग जीन पूल की बाघिन को राजस्थान ले जाया गया ताकि बाघों की आने वाले नस्लें स्वस्थ हों। पेंच टाइगर रिजर्व के प्रबंधन ने सबसे पहले राजस्थान भेजने के लिए बाघिन पीएन-224 की पहचान की। उसके बाद जंगल में 50 कैमरे लगाकर बाघिन को ट्रैक किया। इसके लिए राजस्थान से एक टीम भी सिवनी आई।
निकाल दिया था रोडियो कॉलर
बाघिन को ट्रैक करने के बाद हाथी दल के साथ बाघिन को ट्रेंक्युलाइज करके रेडियो कॉलर लगाने की कवायद शुरू हुई। 5 दिसंबर को बाघिन को ट्रेंक्युलाइज करके रेडियो कॉलर पहनाया गया और जंगल में छोड़ दिया गया ताकि कुछ दिन मॉनिटरिंग करके राजस्थान भेजा जा सके, लेकिन बाघिन ने अगले दिन ही रेडियो कॉलर निकाल दिया।
लंबे इंतजार के बाद सफलता
कुछ दिन इंतजार करने के बाद बीते दिनों फिर कवायद शुरू हुई और बाघिन को ट्रेस करके ट्रैंक्युलाइज किया गया और फिर वायुसेना के ट-17 हेलीकॉप्टर से राजस्थान ले जाया गया। बाघिन के साथ मध्य प्रदेश से मिशन लीडर आईएफएस गुरलीन कौर, पेंच के वेट्रिनरी डॉक्टर अखिलेश मिश्रा समेत चार अफसर राजस्थान गए हैं।
मप्र की टीम भी गई राजस्थान
पेंच टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि इस आपरेशन की शुरुआत 28 नवंबर को हुई थी। 5 दिसंबर को बाघिन को ट्रेंक्युलाइज करके रेडियो कॉलर लगाया था, फिर दोबारा ट्रेंक्युलाइज किया। राजस्थान की टीम आई। हमारे यहां से भी आॅफिसर और वेटनरी डॉक्टर बाघिन को राजस्थान के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व छोड़ने गए हैं। बाघिन को इंटर स्टेट टाइगर से ले जाना पहली बार हुआ है।