By: Arvind Mishra
Aug 03, 20253 hours ago
भोपाल। स्टार समाचार वेब
केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राज्यमार्ग मंत्रालय ने अप्रैल 2019 के बाद पंजीकृत वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट प्लेट लगाई जाना अनिवार्य किया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य सरकारों को नंबर प्लेट लगाने में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं, जिससे वाहन पोर्टल में डाटा अपडेट करने के काम में तेजी लाई जा रही है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अब मध्यप्रदेश परिवहन विभाग ने सभी पंजीकृत वाहनों में अनिवार्य रूप से हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाए जाने के लिए अभियान शुरू कर दिया है। आरटीओ की तरफ से अपने-अपने जिले में इसके लिए अभियान भी चलाया जाएगा। आरटीओ के टीमें डीलरों के यहां जाकर देखेंगी कि पोर्टल में एंट्री कहां दिक्कत आ रही है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के आदेश के बाद भी वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं लगवाने वाले वाहन मालिकों के विरुद्ध सख्ती की तैयारी है। पुरानी नंबर प्लेट वाले वाहनों की सभी सेवाएं बंद कर दी जाएंगी। इसमें डुप्लीकेट पंजीयन प्रमाण पत्र जारी करना, पंजीयन प्रमाण पत्र में पता बदलना, शुल्क देकर पंजीयन कार्ड का विवरण देखना, वाहन का मालिकाना हक किसी और को हस्तांतरित करना, पंजीयन निरस्तीकरण, डुप्लीकेट फिटनेस प्रमाण पत्र जैसी सेवाएं शामिल हैं।
परिवहन विभाग के सचिव मनीष सिंह ने परिवहन आयुक्त को पत्र लिखकर कार्रवाई के लिए कहा है। पीयूसी प्रमाण पत्र भी बिना हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के जारी नहीं होगा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक अप्रैल, 2019 के बाद पंजीकृत वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट डीलर के यहां से ही लगाना अनिवार्य किया है। उसके बाद से सभी वाहनों में एचएसआरपी लगाए गए हैं, पर सभी डीलर्स द्वारा मैनजमेंट इन्फारमेशन सिस्टम पोर्टल पर वाहनों का डाटा दर्ज करने में ढिलाई की जा रही है।
अप्रैल, 2019 के पहले पंजीकृत वाहनों में एचएसआरपी लगाने की स्थिति भी ठीक नहीं है। प्रदेश में इसके पहले के पंजीकृत सभी प्रकार के 50 लाख से अधिक वाहनों में से लगभग आधे में यानी 25 लाख में एचएसआरपी नहीं लगे हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट याचिका में 27 जनवरी, 2025 को जारी आदेश में सभी राज्यों की समीक्षा में तुलनात्मक स्थिति दी गई है, जिसमें मध्य प्रदेश की स्थिति खराब बताई गई है। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से प्रतिवेदन मांगा है। ऐसे में सख्ती करने के आदेश जारी किए गए हैं।