अब इस मामले पर रिटायर्ड एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। मालेगांव ब्लास्ट के बाद उस समय के जांचकर्ता अधिकारी परमवीर सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) चीफ मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे।
By: Arvind Mishra
Aug 01, 202511:53 AM
पुणे। स्टार समाचार वेब
महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए विस्फोट की जांच करने वाले एटीएस के एक पूर्व अधिकारी ने दावा किया कि उन्हें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था। अफसर ने पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सभी सात आरोपियों को बरी करने के निचली अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अदालत का यह फैसला एटीएस द्वारा की गई फर्जी जांच को बेनकाब करता है। इस केस को ऐसे पेश किया गया, जैसे भगवा आतंकवाद को स्थापित करना हो। गौरतलब है कि मालेगांव ब्लास्ट केस में गुरुवार को एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया। अब इस मामले पर रिटायर्ड एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने एक खास चर्चा के दौरान बताया कि मालेगांव ब्लास्ट के बाद उस समय के जांचकर्ता अधिकारी परमवीर सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) चीफ मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे। मुजावर ने कहा कि मैं यह नहीं कह सकता कि एटीएस ने उस समय क्या जांच की और क्यों, लेकिन मुझे राम कलसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जैसी हस्तियों के बारे में कुछ गोपनीय आदेश दिए थे। ये सभी आदेश ऐसे नहीं थे कि कोई उनका पालन कर सके।
मुजावर ने यह भी बताया कि देश में भगवा आतंकवाद के कॉन्सेप्ट को सिद्ध करने के लिए उन पर गलत जांच करने का दबाव बनाया गया था। मैंने इसका विरोध किया, क्योंकि मैं गलत काम करना नहीं चाहता था, लेकिन मेरे खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए। पर मैं इन सभी मामलों में बरी हो गया।
मुजावर ने कहा कि उन्होंने मुझ पर दबाव बनाया कि मैं मारे गए लोगों को चार्जशीट में जिंदा बताऊं। जब मैंने इससे इंकार किया तो उस समय के आईपीएस अधिकारी परमवीर सिंह ने मुझे झूठे मामले में फंसा दिया। मुजावर ने ये भी कहा कि वह मालेगांव ब्लास्ट मामले में कोर्ट के फैसले से खुश हैं।
आरोपियों में पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, सुधाकर चतुर्वेदी, रिटायर रमेश उपाध्याय शामिल थे। मुजावर ने कहा कि वह उस टीम का हिस्सा थे, जो 29 सितंबर 2008 को हुए मालेगांव विस्फोट की जांच कर रही थी। उस धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग घायल हुए थे।