सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में बड़ा फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस सिलसिले में बारह आरोपियों को बरी करने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपियों की रिहाई पर रोक नहीं है और उनको दोबारा जेल नहीं भेजा जाएगा।
By: Arvind Mishra
Jul 24, 202512:13 PM
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में बड़ा फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस सिलसिले में बारह आरोपियों को बरी करने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपियों की रिहाई पर रोक नहीं है और उनको दोबारा जेल नहीं भेजा जाएगा। दरअसल, मुंबई ट्रेन धमाके के मामले में सुप्रीम कोर्ट आरोपियों को बड़ा झटका देते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी है। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने हाल ही में दिए अपने फैसले में धमाके के सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया था। उच्च न्यायालय के फैसले को महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों की जेल से रिहाई को बरकरार रखा है। जस्टिस एमएम सुंदरेश और एन कोटिश्वर सिंह ने सभी आरोपियों को भी नोटिस जारी कर उनका जवाब मांगा है। साथ ही कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले को मिसाल नहीं माना जाएगा। इसका मतलब है कि जो लोग इसी तरह के आरोपों में जेल में बंद हैं, वे जमानत हासिल करने के लिए इस आदेश का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आरोपियों को वापस जेल भेजने की कोई मांग नहीं की। मेहता ने कहा कि जहां तक स्वतंत्रता (से जुड़े मसले पर स्टे का सवाल है, मैं सतर्क हूं। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम नोटिस जारी करेंगे। मैं बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे चाहता हूं, लेकिन उन्हें दोबारा जेल भेजना मेरा उद्देश्य नहीं है। वे पहले ही रिहा हो चुके हैं, लेकिन इससे मकोका के तहत चल रहे अन्य मामलों पर असर पड़ेगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि हमें बताया गया है कि सभी आरोपियों को रिहा कर दिया गया है इसलिए उन्हें वापस जेल भेजने का सवाल नहीं है।
2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट में 187 लोगों की मौत हुई थी, वहीं 800 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद इन धमाकों का कोई जिम्मेदार नहीं रह गया था। पूर्व में निचली अदालत ने 12 दोषियों में से पांच को मौत की सजा और सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और मामले में एक व्यक्ति को बरी कर दिया गया था। निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है। निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय ने पलट दिया था।