मध्यप्रदेश में दो साल पहले बनाए गए तीन नए जिलों को चुनाव आयोग ने मान्यता दे दी है। अब इन जिलों के कलेक्टर अपने जिला क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीटों के लिए अपीलीय अधिकारी के रूप में काम कर सकेंगे।
By: Arvind Mishra
Jul 20, 202549 minutes ago
मध्यप्रदेश में दो साल पहले बनाए गए तीन नए जिलों को चुनाव आयोग ने मान्यता दे दी है। अब इन जिलों के कलेक्टर अपने जिला क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीटों के लिए अपीलीय अधिकारी के रूप में काम कर सकेंगे। दूसरी ओर आयोग ने उन जिलों के कलेक्टरों को अपीलीय अधिकारी से मुक्त कर दिया है जिन जिलों की सीमा से अलग कर ये नए जिले बने थे। आयोग के निर्देश पर आयोग के सचिव सुमन कुमार दास ने इसका नोटिफिकेशन कर दिया है। मप्र सरकार ने भी इसके आधार पर नोटिफिकेशन किया है। दरअसल, मध्यप्रदेश के तीन नए जिलों मऊगंज, मैहर और पांढुर्णा को आखिरकार चुनाव आयोग से अधिकारिक मान्यता मिल गई है। आयोग ने इन जिलों को अपनी अपडेटेड जिला सूची में शामिल कर लिया है। जिसके बाद से अब इन जिलों के कलेक्टर अपने-अपने क्षेत्रों की विधानसभा सीटों के लिए अपीलीय अधिकारी के रूप में काम करेंगे। यह फैसला चुनावी प्रक्रिया में तेजी और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। इन तीन नए जिलों के निर्माण से पहले संबंधित विधानसभा क्षेत्रों की निर्वाचन जिम्मेदारी पास के बड़े जिलों के कलेक्टरों के पास थी, जिन्हें अब इससे मुक्त कर दिया गया है।
रीवा कलेक्टर: मऊगंज और देवतालाब
छिंदवाड़ा कलेक्टर: पांढुर्णा और सौंसर
सतना कलेक्टर: मैहर और अमरपाटन
गौरतलब है कि मऊगंज, मैहर और पांढुर्णा को जिला घोषित तो कर दिया गया था, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में इन जिलों के कलेक्टरों को अपीलीय अधिकारी का दर्जा नहीं दिया गया था। ऐसे में चुनाव से जुड़ी सारी कार्यवाही के लिए मऊगंज को रीवा, मैहर को सतना, और पांढुर्णा को छिंदवाड़ा जिला कलेक्टरों के माध्यम से ही रिपोर्टिंग करनी पड़ती थी। यही कारण रहा कि चुनाव आयोग भी पत्राचार इन पुराने जिला अधिकारियों से ही कर रहा था।
चुनाव आयोग की इस मान्यता के बाद मध्यप्रदेश में अब आधिकारिक रूप से 55 जिले हो गए हैं। इससे न केवल प्रशासनिक व्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर चुनावी प्रक्रिया में भी तेजी और पारदर्शिता आएगी।