मध्यप्रदेश: सरकारी दावों के उलट, इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नरी लागू होने के बाद अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। हत्या, वाहन चोरी, लूट और महिला अत्याचार के मामलों में 20% से 30% तक की बढ़ोतरी। जानिए आधिकारिक आंकड़े और क्यों हैं कानून-व्यवस्था पर सवाल।
By: Ajay Tiwari
Dec 03, 20256:12 PM
भोपाल/इंदौर। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश के दो प्रमुख महानगरों - इंदौर और भोपाल - में कानून और व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से लागू की गई पुलिस कमिश्नरी प्रणाली की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। राज्य सरकार भले ही इस प्रणाली के लागू होने के बाद अपराधों में कमी आने का दावा कर रही हो, लेकिन आधिकारिक आंकड़े एक विपरीत कहानी बयान करते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा कांग्रेस विधायक बाला बच्चन को दिए गए एक लिखित उत्तर में यह खुलासा हुआ है कि पुलिस कमिश्नरी लागू होने के बाद दोनों शहरों में अपराध का ग्राफ नीचे आने के बजाय ऊपर चढ़ा है।
इंदौर में पुलिस कमिश्नरी लागू होने से पहले के दो वर्षों (दिसंबर 2019 से नवंबर 2020) की तुलना में लागू होने के बाद की अवधि (दिसंबर 2022 से अब तक) में प्रमुख अपराधों में भारी वृद्धि दर्ज की गई है:
| अपराध | लागू होने से पूर्व (2 वर्ष) | लागू होने के बाद |
| चोरी | 1106 | 2490 |
| वाहन चोरी | 5907 | 12181 |
| लूट | 125 | 536 |
| हत्या | 122 | 265 |
| डकैती | 8 | 8 |
इसी तरह, भोपाल में भी अपराधों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज हुई है:
| अपराध | लागू होने से पूर्व (2 वर्ष) | लागू होने के बाद |
| चोरी | 1704 | 4141 |
| वाहन चोरी | 2426 | 6465 |
| लूट | 79 | 205 |
| हत्या | 92 | 179 |
| डकैती | 01 | 02 |
महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार के मामलों में भी दोनों शहरों में चिंताजनक वृद्धि हुई है।
इंदौर: यहां महिला अत्याचार के मामलों में लगभग 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। लागू होने से पहले के दो वर्षों में 2952 मामले दर्ज हुए थे, जबकि लागू होने के बाद के चार वर्षों में यह संख्या बढ़कर 7569 हो गई।
भोपाल: भोपाल में यह बढ़ोतरी लगभग 20 प्रतिशत रही है। पहले के दो वर्षों में 4530 मामले थे, जो लागू होने के बाद के चार वर्षों में 10794 तक पहुंच गए।
कानूनी प्रक्रिया के मोर्चे पर भी ढिलाई नजर आ रही है। विधानसभा पटल पर रखी गई जानकारी के अनुसार:
फरार आरोपित: इंदौर और भोपाल में कुल 800 से अधिक आरोपित फरार चल रहे हैं। इनमें इंदौर में 474 और भोपाल में 328 आरोपित शामिल हैं।
लंबित चालान: लगभग साढ़े सात सौ से अधिक मामलों में पुलिस द्वारा अभी तक न्यायालय में चालान पेश नहीं किया गया है। इनमें से इंदौर में 474 और भोपाल में 277 मामले लंबित हैं।
यह आंकड़े स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि पुलिस कमिश्नरी प्रणाली को लागू करने का अपेक्षित सकारात्मक परिणाम अपराध नियंत्रण पर दिखाई नहीं दे रहा है।