मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगे सीहोर जिले की आष्टा तहसील के ग्राम बेदाखेड़ी, सियाखेड़ी, जफराबाद और मोलूखेड़ी ने मिलकर ऐसा फैसला लिया है, जिसने पूरे प्रदेश में चर्चा छेड़ दी है। ग्रामीणों ने सार्वजनिक बैठक कर संकल्प लिया कि अब गांव में न शराब की बिक्री होगी और न ही डीजे बजेंगे।
By: Arvind Mishra
सीहोर। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगे सीहोर जिले की आष्टा तहसील के ग्राम बेदाखेड़ी, सियाखेड़ी, जफराबाद और मोलूखेड़ी ने मिलकर ऐसा फैसला लिया है, जिसने पूरे प्रदेश में चर्चा छेड़ दी है। ग्रामीणों ने सार्वजनिक बैठक कर संकल्प लिया कि अब गांव में न शराब की बिक्री होगी और न ही डीजे बजेंगे। यह निर्णय सामाजिक शांति, आर्थिक स्थिति सुधारने और बीमारियों से बचाने के उद्देश्य से लिया गया है। पंचायतों के इस फैसले से सबसे अधिक खुशी महिलाओं को हुई है। वर्षों से शराब के कारण परिवारों में झगड़े, विवाद और आर्थिक संकट का बोझ महिलाओं को उठाना पड़ता था। महिलाओं का मानना है कि यह निर्णय उनके जीवन में नया सुकून लाएगा। इधर, आष्टा एसडीएम नितिन टाले, एसडीओपी आकाश अमलकार और जनपद सीईओ अमित व्यास ने सरपंचों की मौजूदगी में ग्रामीणों को शपथ दिलाई। अधिकारियों ने इस पहल का स्वागत करते हुए हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया। पुलिस अफसरों ने कहा कि यदि कहीं अवैध शराब की सूचना मिलेगी तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने इसे जिले की अन्य पंचायतों के लिए अनुकरणीय बताया।
बेदाखेड़ी की सरपंच देवकला बाई सिंह ने बताया कि पंचायत ने तय किया है कि यदि कोई व्यक्ति शराब लाता या पीता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसी तरह शादी या किसी भी आयोजन में डीजे बजाने पर भी कड़ी कार्रवाई होगी। विवाह जैसे कार्यक्रमों में अब पारंपरिक वाद्ययंत्र ढोलक, मजीरा और झांझ का उपयोग किया जाएगा। इससे फिजूलखर्ची रुकेगी और सांस्कृतिक धरोहर को भी बल मिलेगा।
मोलूखेड़ी के सरपंच शैलेंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें यह प्रेरणा अन्ना हजारे के गांव रालेगण सिद्धि से मिली। हाल ही में वे वहां गए थे और देखा कि नशामुक्ति व सामाजिक अनुशासन ने कैसे गांव को विकास की राह पर खड़ा कर दिया। उसी से प्रेरित होकर उन्होंने अपने गांव में नशा और डीजे बंदी का प्रस्ताव रखा, जिसे ग्रामीणों ने उत्साह से स्वीकार किया। बेदाखेड़ी, मोलूखेड़ी और सियाखेड़ी के ग्रामीणों का कहना है कि शराबबंदी से घर की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।
ग्रामीणों का कहना है कि शराब और डीजे बंद होने से गांव में शांति का माहौल बनेगा। झगड़े-फसाद रुकेंगे और लोग विकास पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। पहले शराबखोरी और डीजे की तेज आवाज से विवाद और अपराध बढ़ते थे, लेकिन अब इस पर पूरी तरह रोक लगेगी।