सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए कहा-अगर कोई पति अपनी पत्नी से घर के सभी खर्चों का हिसाब रखने के लिए एक्सेल शीट बनाने को कहता है, तो इसे क्रूरता नहीं माना जा सकता और इसके आधार पर आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी द्वारा पति के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए यह बात कही।
By: Arvind Mishra
Dec 20, 202511:04 AM
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए कहा-अगर कोई पति अपनी पत्नी से घर के सभी खर्चों का हिसाब रखने के लिए एक्सेल शीट बनाने को कहता है, तो इसे क्रूरता नहीं माना जा सकता और इसके आधार पर आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी द्वारा पति के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए यह बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने कहा-यह भारतीय समाज की सच्चाई हो सकती है, जहां पुरुष अक्सर हावी होने की कोशिश करते हैं और घर के फाइनेंस का कंट्रोल अपने हाथ में लेते हैं, लेकिन यह आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का आधार नहीं हो सकता।
कोर्ट को रहना चाहिए सावधान
मामले की सुनवाई जस्टिस बी वी नागरत्ना और आर महादेवन की बेंच ने की। बेंच ने कहा-अदालतों को वैवाहिक शिकायतों से निपटते समय बहुत सावधान रहना चाहिए। ऐसे मामलों से निपटते समय व्यावहारिक वास्तविकताओं पर विचार करना चाहिए, क्योंकि इनमें से कई केस शादी की रोजमर्रा की छोटी-मोटी बातों के कारण होते हैं, जिन्हें किसी भी तरह से क्रूरता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
पति पर लगाए गए ये आरोप
बेंच ने कहा-पति पर आरोप है कि वह पत्नी को सभी खर्चों की एक्सेल शीट बनाने के लिए मजबूर किया। अगर इसे सच भी मान लिया जाए, तो भी यह क्रूरता की परिभाषा के तहत नहीं आता है। आरोपी का वित्तीय और आर्थिक दबदबा, जैसा कि उसने आरोप लगाया है। क्रूरता का केस नहीं बन सकता। खासकर जब कोई ठोस मानसिक या शारीरिक नुकसान न हुआ हो।
पति की दलील को कोर्ट ने स्वीकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने पति की ओर से पेश हुए वकील प्रभजीत जौहर की दलील को स्वीकार कर लिया, जिन्होंने आरोप लगाया था कि यह कानून का दुरुपयोग है और उनके क्लाइंट के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। इसमें कहा गया कि एफआईआर को सिर्फ पढ़ने से पता चलता है कि उसके लगाए गए आरोप अस्पष्ट और सामान्य हैं और उसने उत्पीड़न की किसी खास घटना का कोई सबूत या खास जानकारी नहीं दी है।
रोजमर्रा की छोटी-मोटी बात
बेंच ने कहा-अदालतों को शिकायतों से निपटते समय सावधान रहना चाहिए। वैवाहिक मामलों से निपटते समय व्यावहारिक वास्तविकताओं पर विचार करना चाहिए, जहां न्याय की विफलता और कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए आरोपों की ज्यादा सावधानी और विवेक से जांच की जानी चाहिए। शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों पर हमने विचार किया है। हमारी राय में, वे शादी की रोजमर्रा की छोटी-मोटी बातों को दर्शाते हैं और उन्हें किसी भी तरह से क्रूरता के रूप में वगीर्कृत नहीं किया जा सकता है।