बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों की निष्क्रियता पर हैरानी जताई। दरअसल राजनीतिक पार्टियों ने मतदाता सूची से हटाए गए लोगों के नाम फिर से मतदाता सूची में जुड़वाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए।
By: Arvind Mishra
Aug 22, 20252:33 PM
बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों की निष्क्रियता पर हैरानी जताई। दरअसल, राजनीतिक पार्टियों ने मतदाता सूची से हटाए गए लोगों के नाम फिर से मतदाता सूची में जुड़वाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार दोपहर कहा कि निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान बिहार के मतदाताओं की ओर से पेश किए जा सकने वाले 11 दस्तावेजों में से एक के रूप में आधार को स्वीकार करना होगा। आधार को स्वीकार्य दस्तावेजों की सूची से बाहर रखा गया है। कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 8 सितंबर की रखी है।
चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने हटाए गए मतदाताओं के नामों को सही करने के मामले में राजनीतिक दलों की निष्क्रियता पर आश्चर्य व्यक्त किया। दलों से आगे आने का आह्वान करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि यह प्रक्रिया मतदाता-अनुकूल होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि बिहार एसआईआर में 85,000 नए मतदाता सामने आए हैं। हालांकि, राजनीतिक दलों के बूथ स्तर के एजेंटों की ओर से केवल दो आपत्तियां दर्ज की गई हैं। हम बिहार एसआईआर के लिए आधार कार्ड या किसी अन्य स्वीकार्य दस्तावेज के साथ हटाए गए मतदाताओं के दावों को आनलाइन प्रस्तुत करने की अनुमति देंगे।