गंजबासौदा। लंबे इंतजार के बाद रेलवे स्टेशन पर नया फुट ओवरनिज (एफओबी) बनने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके निर्माण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। रेलवे ने प्लेटफार्म क्रमांक चार से एक तक बिज का काम शुरू कर दिया है। मगर नागरिकों की अपेक्षा के अनुसार इसे स्टेशन के बाहर सक्र्क्युलेटिंग एरिया में उतारने की योजना पर पानी फिर गया है। वजह है स्टेशन परिसर में मौजूद माइको वेब टॉवर और सिग्नल विभाग का रिले रूम। नियमों के अनुसार रिले रूम के ऊपर से किसी भी प्रकार का निर्माण संभव नहीं है। वहीं, टॉवर हटाने की मांग पर तेकेदार ने 80 लाख रुपये खर्च का अनुमान बताया है। इसी कारण रेलवे ने पुराने बिज के पास ही नया फुट ओवरब्रिज बनाने का निर्णय लिया है। शहरवासियों और पूर्वी बस्ती के लोगों की लंबे समय से मांग थी कि नया एफओबी सीधे स्टेशन के बाहर उत्तरे। पुराने ब्रिज को भी लोग अव्यावहारिक मानते रहे हैं, क्योंकि यात्रियों को प्लेटफार्म होते हुए ही बाहर जाना पड़ता है। पिछले चार दशकों से यह मांग लगातार उठाई जा रही थी। नए ब्रिज की स्वीकृति पर लोगों में खुशी थी कि अब समस्या का समाधान हो जाएगा, लेकिन अचानक योजना बदलने से नाराजगी बढ़ गई हैं।
नागरिक संगठनों ने जताई नाराजगी
शहर के विभिन्न संगठनों, अपडाउनर्स यूनियन, व्यापारियों और पूर्वी कॉलोनी के नागरिकों का कहना है कि यदि ब्रिज की एक लेग को सर्क्युलेटिंग एरिया तक नहीं उतारा गया तो इसका कोई औचित्य नहीं है। इससे पुराने ब्रिज जैसी ही समस्या बनी रहेगी और यात्रियों को प्लेटफामों से होकर गुजरना पड़ेगा। संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि निर्माण स्थल नहीं बदला गया तो आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।
समाधान के बजाय नई उलझन उत्पन्न हो रहीं
स्थानीय नागरिकों का मानना है कि यदि रेलवे ने पहले से तय स्थल आरपीएफ चौकी के पास ब्रिज का निर्माण कराया होता तो ऐसी तकनीकी दिक्कतें ही न आतीं। फिलहाल प्लेटफार्म एक तक ब्रिज बनाए जाने की योजना ने लोगों में असंतोष बढ़ा दिया है। समाधान की बजाय समस्या और उलझती दिख रही है, जो आने वाले दिनों में आंदोलन का रूप भी ले सकती है।
तकनीकी अड़चनें
रेलवे को स्वीकृति अनुसार 12 मीटर चौड़ा फुट ओवरब्रिज प्लेटफार्म क्रमांक एक से चार तक बनाना था। इसके लिए प्रस्तावित स्थल आरपीएफ चौकी के पास तय किया गया था। बाद में ड्रॉइंग बदलकर पुराने एफओबी के पास स्थान तय कर दिया गया। यहां माइक्रो वेब टॉवर और सिग्नल विभाग का रिले रूम सबसे बड़ी बाधा बन गए। रिले रूम को शिफ्ट करने पर करोड़ों रुपये खर्च होंगे। वहीं, टॉवर को हटाने की प्रक्रिया भी आसान नहीं है, क्योंकि यह निजी कंपनी को लीज पर दिया गया है।
नक्शे के अनुसार बन रहा
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि नया ब्रिज पूर्व स्वीकृत नक्शे के अनुसार ही बनाया जा रहा है। एफओबी की एक लेग को पुराने स्टेशन भवन और माइको वेब टावर के बीच से बाहर निकाला जाएगा। काम शुरू हो चुका है। निर्माण में रुकावट नहीं आएगी।
मधुर रचाचौड़िया, आईओडब्ल्यू, विदिशा।