गंजबासौदा। पल-पल बदलते मौसम और बढ़ते तापमान के कारण मौसमी बीमारियों ने नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में जोर पकड़ लिया है। हालात यह हैं कि शासकीय जन चिकित्सालय की ओपीडी में रोजाना मरीजों की संख्या बढ़कर 900 तक पहुंच गई है। इनमें बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की है। अस्पताल में प्रतिदिन करीब 125 मरीज भर्ती हो रहे हैं, जिनमें 25 बच्चे शामिल हैं। डॉक्टरों और स्टाफ की कमी से व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं।
इमरजेंसी सेवाओं के लिए ड्यूटी से होकर गुजरने वाले डॉक्टरों को भी बुलाना पड़ रहा है। फिर भी मरीजों का दबाव कम नहीं हो रहा। इन दिनों विकासखंड में सर्दी-बुखार, पेट दर्द, उल्टी-दस्त के मरीजों की लंबी लाइनें अस्पताल में देखी जा रही हैं। दिन में तापमान 29 डिग्री और रात में 25 डिग्री बना हुआ है, जिससे वायरस तेजी से फैल रहा है। बारिश न होने और उमस भरी गर्मी के कारण हालात पिछले एक सप्ताह से और बिगड़े हैं। मच्छरों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। श्रावण के बाद त्यौहारों के चलते भारी-भरकम व तेलीय भोजन से डी-हाइड्रेशन के मामले भी बढ़े हैं। डॉक्टर डीपी शर्मा और डॉ. केके तिवारी का कहना है कि मौसम ऐसा ही रहा तो स्थिति और बिगड़ सकती है।
ग्रामीण आयुष केंद्र बंद, नगर के अस्पताल पर दबाव
ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी आयुष केंद्रों में डॉक्टर व स्टाफ के पद खाली हैं। कहीं कर्मचारियों की कमी है। इसका सीधा असर के नगर के अस्पताल पर है, जो सौ बिस्तरों मान से स्वीकृत है। लेकिन सामान्य दिनों में भी 150 से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं। सीजन में तो एक-एक बिस्तर पर दो मरीजों का उपचार करना पड़ रहा है और पलंग-बिस्तर भी कम पड़ जाते हैं।
तापमान स्थिर रहने से अक्टूबर तक हालात बिगड़ने की आशंका
बीएमओ डॉ. प्रमेंद्र तिवारी के अनुसार क्वार के महीने में वैसे भी मरीजों की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन इस साल बारिश रुक-रुककर होने और तापमान स्थिर रहने से हालात खराब हैं। सितंबर-अक्टूबर में समस्या और बढ़ सकती है। अस्पताल भवन छोटा पड़ रहा है। नए भवन और अपग्रेडेशन से ही स्टाफ और सुविधाएं बढ़ेंगी, वरना दिक्कत बनी रहेगी।
दूषित पानी से फैल रहीं बीमारियां
बारिश के चलते खेतों व बस्तियों का गंदा पानी नदी-नालों व जलस्रोतों तक पहुंच रहा है। ज्यादातर ग्रामीण इन्हीं जलस्रोतों का उपयोग करते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में पेट दर्द, उल्टी दस्त सहित वायरल फीवर की शिकायतें बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों से अस्पताल आने वाले ज्यादातर मरीज इन्हीं बीमारियों से पीड़ित हैं। डॉक्टर रविंद्र चिढ़ार के अनुसार, इन दिनों पानी उबालकर पीना सबसे सुरक्षित उपाय है।
लोगों का दर्द... नियमित सफाई नहीं की जा रही
नागरिकों का कहना है कि सफाई की शिकायत पर नपा केवल मुख्य सड़कों और नालों की सफाई कराती है। लेकिन गलियों में सफाई नियमित नहीं होती। वार्ड क्रमांक 7 और राजपूत कॉलोनी के लोगों का आरोप है कि उनके यहां महीनों से सफाई नहीं हुई। जबकि कई बार पार्षद से लेकर सीएमओ तक शिकायतें की जा चुकी हैं। मौसमी बीमारियों, दूषित पानी, मच्छरों के बढ़ते प्रकोप और अव्यवस्थित सफाई के बीच नगर और ग्रामीण अंचल के लोगों की सेहत पर संकट गहराता जा रहा है। दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग के पास न स्टाफ पर्याप्त है, न संसाधन, और न ही हालात से निपटने की ठोस रणनीति। सितंबर और अक्टूबर में बीमारी का यह दबाव और बढ़ सकता है।