बैंक लोन फर्जीवाड़ा मामले में फंसे अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप कंपनियों (Reliance Infrastructure, RCOM) के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों की सख्ती बढ़ गई है। ED द्वारा ₹7500 करोड़ की संपत्ति जब्त करने के बाद, अब MCA ने फंड के कथित दुरुपयोग की विस्तृत जांच SFIO को सौंपी है। जानें ₹40,000 करोड़ के कर्ज और 'evergreening of debt' का पूरा मामला।
By: Ajay Tiwari
Nov 05, 20255:03 PM
हाइलाइट्स
बैंक लोन फर्जीवाड़ा मामले में घिरे अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप के लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED), केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और सेबी (SEBI) की मौजूदा जांचों के बीच, अब कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने एक नई जांच शुरू की है। मंत्रालय ने समूह की कई कंपनियों, जिनमें रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और CLE प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं, में फंड के कथित दुरुपयोग और हेराफेरी की जाँच के आदेश दिए हैं।
MCA की प्रारंभिक पड़ताल में कंपनी अधिनियम के तहत गंभीर अनियमितताओं और बड़े पैमाने पर धन के गबन के शुरुआती संकेत मिले हैं। इसी आधार पर, इस महत्वपूर्ण मामले को अब सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) को सौंप दिया गया है। SFIO अब इस बात की गहनता से जांच करेगा कि फंड का हस्तांतरण समूह की किन इकाइयों के बीच हुआ, पैसे का प्रवाह (flow) कैसा रहा, और वरिष्ठ प्रबंधन स्तर पर किन लोगों की भूमिका रही।
यह कदम ऐसे समय में आया है जब ईडी ने कर्ज में डूबी रिलायंस ग्रुप की कंपनियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई को तेज़ कर दिया है। एजेंसी ने हाल ही में बहु-करोड़ बैंक धोखाधड़ी मामले में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य से जुड़ी लगभग 7,500 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की हैं।
ईडी का मामला विशेष रूप से रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और उसकी सहयोगी कंपनियों द्वारा 2010 से 2012 के बीच लिए गए ऋणों पर केंद्रित है। एजेंसी के अनुसार, कुल बकाया 40,185 करोड़ रुपये है और पांच बैंकों ने इन ऋण खातों को 'धोखाधड़ी' (Fraud) घोषित कर दिया है। जांचकर्ताओं का आरोप है कि इन फंडों को समूह की अन्य इकाइयों में घुमाया गया, संबंधित कंपनियों को भेजा गया, और पुराने कर्जों को चुकाने के लिए इस्तेमाल किया गया, जो कि ऋण शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन है। ईडी ने आरोप लगाया है कि व्यवसाय संचालन के लिए जुटाए गए पैसों का उपयोग "evergreening of debt" यानी पुराने कर्जों को नए कर्ज से चुकाने में किया गया था।