मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि आर्थिक रूप से सक्षम विवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति पर दयापूर्वक विचार नहीं किया जा सकता, खासकर जब परिवार के अन्य सदस्य उस पर निर्भर न हों।
By: Ajay Tiwari
Nov 19, 20256:31 PM
जबलपुर. स्टार समाचार वेब
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने एक अहम आदेश में स्पष्ट किया है कि आर्थिक रूप से सक्षम शादीशुदा बेटी को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने के लिए 'दया' के आधार पर विचार नहीं किया जा सकता। जस्टिस दीपक कोत की एकलपीठ ने यह फैसला सुनाते हुए एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि मृतक कर्मचारी के परिवार के अन्य सदस्य याचिकाकर्ता विवाहित बेटी पर निर्भर नहीं थे।
यह याचिका छिंदवाड़ा निवासी अनुपाल की ओर से दायर की गई थी, जिनकी मां मूला देवी वेस्टर्न कोल लिमिटेड (WCL) में कार्यरत थीं और जिनकी मृत्यु 7 नवंबर 2017 को हुई थी। मां की मृत्यु के बाद अनुपाल ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, जिसे कंपनी ने अस्वीकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसका आवेदन केवल उसके शादीशुदा होने के कारण खारिज किया गया है।
हालांकि, WCL ने हाईकोर्ट को बताया कि आवेदन को शादीशुदा होने के कारण नहीं, बल्कि याचिकाकर्ता के आर्थिक रूप से सक्षम होने के कारण निरस्त किया गया था। कंपनी ने यह भी जानकारी दी कि याचिकाकर्ता का पति WCL में ही कार्यरत है। इसके अतिरिक्त, मृतक कर्मचारी की अन्य दो बेटियों ने भी प्राधिकरण के समक्ष बयान दर्ज कराए थे कि याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जानी चाहिए।
एकलपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा कि महिला कर्मचारी की मृत्यु लगभग आठ साल पहले हुई थी और अब याचिकाकर्ता के पक्ष में दया या आर्थिक आवश्यकता के आधार पर विचार करने की कोई ठोस वजह नहीं है। याचिकाकर्ता एक विवाहित महिला है और उसका पति अनावेदक कंपनी में नौकरी करता है। उसका अपना परिवार है और उसे आर्थिक मदद के लिए नौकरी की ज़रूरत नहीं है। साथ ही, मृतक महिला कर्मचारी के परिवार का कोई भी सदस्य याचिकाकर्ता पर निर्भर नहीं था। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, एकलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया।