मध्य प्रदेश में 10,000 से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को चुनावी ड्यूटी से छूट देने वाली याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज किया। जानें चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा की डिवीजन बेंच के फैसले का मुख्य कारण।
By: Ajay Tiwari
Nov 19, 20257:21 PM
हाइलाइट्स
जबलपुर. स्टार समाचार वेब
मध्य प्रदेश में 10 हजार से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को चुनावी ड्यूटी में लगाए जाने के विरुद्ध दायर एक याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। यह याचिका आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं शासकीय एकता यूनियन भोपाल की ओर से दायर की गई थी, जिसमें मांग की गई थी कि आईसीडीएस (ICDS) सेवाओं के अनिवार्य काम के चलते कार्यकर्ताओं को चुनाव संबंधी अतिरिक्त जिम्मेदारी से मुक्त रखा जाए। उनका तर्क था कि चुनावी ड्यूटी करने से उनका मूल कार्य प्रभावित होता है।
चुनाव अनिवार्य सरकारी काम
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने इस मामले पर फैसला सुनाया। डिविजन बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए तर्क दिया कि चुनाव कराना एक सरकारी अनिवार्य कार्य है और यदि सभी विभागों के कर्मचारी इस ड्यूटी से इनकार कर देंगे, तो चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाएगी।
कार्यकर्ता सरकारी सिस्टम का हिस्सा
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कार्यकर्ता सरकारी सिस्टम का हिस्सा हैं, और सरकार को चुनाव संपन्न कराने के लिए अपने कर्मचारियों को ही यह जिम्मेदारी सौंपनी होगी। हाईकोर्ट के इस निर्णय का सीधा असर अब प्रदेश की 10 हजार से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर पड़ेगा, जिन्हें अब अपने मूल कार्यों के साथ-साथ चुनावी दायित्वों का निर्वहन भी करना होगा।